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इथेनॉल विवाद के बीच नितिन गडकरी ने दिया बड़ा बयान, कहा- मैं कोई दलाल नहीं हूं
इथेनॉल विवाद के बीच नितिन गडकरी ने दिया अहम बयान

इथेनॉल विवाद के बीच नितिन गडकरी ने दिया बड़ा बयान, कहा- मैं कोई दलाल नहीं हूं

Sep 14, 2025
11:23 am

क्या है खबर?

देश में इथेनॉल को लेकर बड़ा विवाद देखने को मिला है। लोगों को आरोप है कि इथेनॉल के कारण उनके वाहन खराब हो रहे हैं और वह इसके लिए केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच गडकरी ने विरोधियों को करारा जवाब देते हुए कहा है कि राजनेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को लड़ाने की कला जानते हैं। वह कोई दलाल नहीं हैं और ईमानदारी से कमाना जानते हैं।

प्रतिक्रिया

गडकरी ने क्या दी प्रतिक्रिया?

नागपुर में एग्रीकोस वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इथेनॉल विवाद पर कहा, "यह पूरा विवाद सोशल मीडिया की देन है। राजनेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को लड़ाने की कला जानते हैं और पिछड़ापन राजनीतिक हित में बदल गया है।" उन्होंने कहा, "मेरे दिमाग की कीमत 200 करोड़ रुपये हर महीने है। मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं है और मैं नीचे नहीं गिरता। मेरा काम और प्रयोग किसानों के हित के लिए है।"

दावा

गडकरी ने किया यह बड़ा दावा 

गडकरी ने कहा, "आपको लगता है कि मैं यह सब पैसे के लिए कर रहा हूं? मैं ईमानदारी से कमाना जानता हूं। मैं कोई दलाल नहीं हूं। बहुत सारे राजनेता लोगों को लड़ाकर खुद फायदा उठाना चाहते हैं, लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं।" उन्होंने कहा, "मेरा भी एक परिवार और घर है। मैं कोई संत नहीं हूं। विदर्भ में 10,000 किसानों की आत्महत्या शर्मनाक है। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारे किसान समृद्ध नहीं हो जाते।"

बिजनेस

बेटे के बिजनेस को लेकर भी बोले गडकरी

गडकरी ने अपने बेटे के बिजनेस को लेकर कहा, "मैं उसे सिर्फ नए आइडिया देता हूं। मेरे बेटे का आयात-निर्यात का काम है। उसने हाल ही में ईरान से 800 कंटेनर सेब मंगवाए और यहां से 1,000 कंटेनर केले भेजे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "मेरा बेटा गोवा से 300 कंटेनर मछली लेकर सर्बिया पहुंचा। उसने ऑस्ट्रेलिया में एक मिल्क पाउडर बनाने वाली फैक्ट्री भी लगाई है। वह अबू धाबी और अन्य जगहों पर 150 कंटेनर भेजता है।"

अवसर

गडकरी ने बताया किसानों के लिए अवसर पैदा करने का तरीका

गडकरी ने कहा, "मेरा बेटा ITC के साथ मिलकर 26 चावल मिलें भी चलाता है। मुझे 5 लाख टन चावल के आटे की जरूरत है, इसलिए वह मिलें चलाता है और मैं आटा खरीदता हूं। यह बिजनेस उदाहरण है कि कैसे व्यावसायिक बुद्धि कृषि में अवसर पैदा कर सकती है।" बता दें कि इथेनॉल विवाद के दौरान गडकरी पर आरोप लगाया गया था कि वह इथेनॉल का इस्तेमाल अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए बढ़ रहे हैं।

पृष्ठभूमि

क्या है इथेनॉल को लेकर विवाद?

सरकार ने हाल ही में इथेनॉल मिले पेट्रोल की बिक्री को अनिवार्य किया था। इसमें वाहन चालकों का आरोप है कि इस ईंधन से माइलेज कम मिलता है और वाहन भी जल्दी खराब होते हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जिसमें गडकरी को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। हालांकि, उसे खारिज कर दिया। सरकार का तर्क है कि यह फैसला देश के गन्ना किसानों का समर्थन करने और आयात पर निर्भरता कम करने के राष्ट्रीय हित में है।