बीते साल NCW को मिली महिलाओं के खिलाफ अपराध की करीब 31,000 शिकायतें
देश में बीते साल महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के पास बीते वर्ष ऐसे अपराधों की करीब 31,000 शिकायतें आई हैं, जो 2014 के बाद से सबसे ज्यादा हैं। इनमें से आधी से ज्यादा शिकायतें अकेले उत्तर प्रदेश से मिली हैं। 2021 में इन शिकायतों में 2020 की तुलना में 30 प्रतिशत का उछाल देखा गया, जब 23,722 शिकायतें मिली थीं। आइये पूरी खबर जानते हैं।
इन अपराधों से जुड़ी शिकायतें मिली
आयोग को मिली कुल 20,684 शिकायतों में से सबसे ज्यादा 11,013 सम्मान के साथ जीने के अधिकार के उल्लंघन से जुड़ी थी। इसके बाद 6,633 शिकायतें घरेलू हिंसा, 4,589 शिकायतें दहेज उत्पीड़न से जुड़ी हुई थी। आंकड़े दिखाते हैं कि आयोग को बीते साल छेड़छाड़ से जुड़ी 1,819, रेप और रेप की कोशिश से जुड़ी 1,675, महिलाओं के खिलाफ पुलिस की असंवेदनशीलता की 1,537 और साइबर अपराधों से जुड़ी 858 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
इन राज्यों से मिली सबसे ज्यादा शिकायतें
उत्तर प्रदेश से आयोग को बीते साल सर्वाधिक 15,828, दिल्ली से 3,336, महाराष्ट्र से 1,504 और हरियाणा से 1,460 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। घरेलू हिंसा और सम्मान के साथ जीने के अधिकार के उल्लंघन से जुड़ी सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिली हैं। पिछले साल जुलाई से सितंबर तक हर महीने आयोग के पास 3,100 से ज्यादा शिकायतें आ रही थीं। इससे पहले 3,000 से ज्यादा शिकायतें नवंबर, 2018 में आई थीं, जब #MeToo अभियान अपने चरम पर था।
आयोग का इस बारे में क्या कहना है?
राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने पहले कहा था कि आयोग लगातार लोगों को अपने काम के प्रति जागरूक कर रहा है, जिस कारण शिकायतों में इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा, "आयोग ने महिलाओं की मदद के लिए नए कदम भी उठाए हैं। इसी तर्ज पर हमने एक चौबीसों घंटे चलने वाली हेल्पलाइन शुरू की है और जरूरत पड़ने पर महिलाओं की शिकायत दर्ज करने में मदद भी कर रहे हैं।"
बढ़ती आत्महत्याओं के पीछे घरेलू हिंसा बड़ी वजह
देश में औसतन हर 25 मिनट में एक गृहणी आत्महत्या कर रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़े बताते हैं कि 2020 में देश में 22,372 गृहणियों ने खुदकुशी की थी। औसत निकाला जाए तो हर दिन 61 और हर 25 मिनट में एक गृहणी ने अपनी जीवनलीला को समाप्त किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आत्महत्याओं के पीछे घरेलू हिंसा एक बड़ा कारण है।
"छीन जाती है महिलाओं की आजादी"
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि देश में बीते साल आत्महत्या करने वाले 1.53 लाख लोगों में से 14.6 फीसदी गृहणियां थीं। वहीं पिछले साल खुदकुशी करने वाली महिलाओं में से आधी संख्या गृहणियों की थी। 1997 से जब से NCRB ने आंकड़े इकट्ठा करना शुरू किया है, हर साल आत्महत्या करने वाली गृहणियों की संख्या 20,000 से ज्यादा रही है। 2009 में तो यह संख्या बढ़कर 25,000 से पार हो गई थी।