मुंबई कोर्ट का आदेश- सार्वजनिक जगह पर न किया जाए तो सेक्स कार्य अपराध नहीं
मुंबई के एक सत्र कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए एक 34 वर्षीय महिला सेक्स वर्कर को आश्रय गृह से मुक्त करने का आदेश दिया। लॉ ट्रेंड के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, "नियम के मुताबिक सेक्स कार्य में शामिल होना अपने आप में अपराध नहीं। सार्वजनिक स्थान पर सेक्स कार्य करना, जिससे दूसरों को गुस्सा आए, इसे अपराध कह सकते हैं। ऐसा कोई आरोप नहीं कि महिला सार्वजनिक रूप से सेक्स कार्य में लिप्त थी।"
क्या है मामला?
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीवी पाटिल ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस फैसले को रद्द किया, जिसमें उन्होंने महिला को आश्रय गृह में रहने का आदेश दिया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा आश्रय गृह में एक साल तक हिरासत में रखने का फैसला देने के बाद महिला सत्र कोर्ट पहुंची थी। महिला को मुलुंड में एक वेश्यालय पर छापे के बाद फरवरी में हिरासत में लिया गया था और प्राथमिकी दर्ज कर मझगांव में मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया था।