मुख्तार अंसारी 14 साल पुराने मामले में गैंगस्टर कानून के तहत दोषी करार
माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब 2009 के 2 मामलों में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार को दोषी पाया गया है। गाजीपुर की सांसद-विधायक कोर्ट ने मुख्तार को दोषी ठहराते हुए सजा का ऐलान कल (27 अक्टूबर) को करने की बात कही है। आज सुनवाई के दौरान मुख्तार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। ये मामले हत्या और हत्या के प्रयास के आरोपों से जुड़े हुए हैं।
क्या है मामला?
2009 में गाजीपुर के करंडा गांव में सेवानिवृत्त शिक्षक कपिल देव सिंह की हत्या कर दी गई थी। कपिल एक दबंग के घर कुर्की की कार्रवाई के लिए पुलिस के अनुरोध पर गवाह बने थे। गांव के दबंगों को शक हुआ कि कपिल पुलिस के मुखबिर हैं और उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुख्तार को बाद में आरोपी बनाया गया था। आरोप है कि मुख्तार ने जेल में रहते हुए हत्या की साजिश रची थी।
कपिल सिंह हत्याकांड के मूल मामले में बरी हो चुके थे मुख्तार
कपिल सिंह हत्याकांड के मूल मामले में मुख्तार को बरी किया जा चुका था। साल 2009 में ही मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के मीर हसन ने भी मुख्तार पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में भी मुख्तार बरी हो चुके हैं। हालांकि, 2010 में इन दोनों मामलों को मिलाकर गैंगस्टर कानून के तहत नया मामला दायर किया गया। इस मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो गई थी।
जेल में हैं मुख्तार अंसारी
मुख्तार वर्तमान में बांदा जेल में बंद है और उसके ऊपर 61 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जून में वाराणसी की कोर्ट ने मुख्तार को कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को मुख्तार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उसने मामले का निपटारा होने तक जमानत पर रिहा किए जाने और सजा पर रोक लगाने की अपील की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
मुख्तार ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में छात्र संघ का चुनाव लड़कर राजनीति में प्रवेश किया और 1996 में पहली बार मऊ से विधायक चुने गए। मुख्तार विभिन्न पार्टियों से विधानसभा चुनाव लड़ते हुए 1996 से 2022 के बीच लगातार 5 बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने कौमी एकता दल नामक एक पार्टी का गठन भी किया था। मुख्तार का 1990 के दशक में कथित आपराधिक गतिविधियों के लिए मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में दबदबा था।