अमीरों की पसंद बने चुनावी बॉन्ड, कुल बॉन्ड्स में से 91 फीसदी की कीमत एक-एक करोड़
चुनावी बॉन्ड को लेकर जारी विवाद के बीच इनसे जुड़ी एक और जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक पहले 12 चरणों में से 11 चरणों में चुनावी बॉन्ड के जरिए 5,896 करोड़ रुपये चंदा राजनीतिक दलों को दिया गया था। इनमें से 91 प्रतिशत बॉन्ड एक करोड़ रुपये से अधिक की कीमत के थे। सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी सामने आई है। जाहिर है अमीर लोग चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा दे रहे हैं।
सबसे ज्यादा बॉन्ड एक करोड़ और 10,000 रुपये के
एक मार्च, 2018 से लेकर 24 जुलाई, 2019 तक पहले 11 चरणों में जारी किए चुनावी बॉन्ड में से 99.7 प्रतिशत बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये की कीमत के थे। इन चरणों में एक करोड़ रुपये की कीमत के 5,409 बॉन्ड और 10 लाख की कीमत के 4,723 बॉन्ड जारी किए गए थे। केवल 15.06 करोड़ रुपये की कीमत के ही एक हजार, 10 हजार और एक लाख रुपये की कीमत वाले बॉन्ड जारी किए थे।
अमीर लोग खरीद रहे चुनावी बॉन्ड
जारी किए कुल 11,782 चुनावी बॉन्ड में से 1,543 बॉन्ड एक लाख की कीमत, 60 बॉन्ड 10,000 रुपये और महज 47 बॉन्ड 1,000 रुपये की कीमत वाले हैं। इनमें से सबसे ज्यादा बॉन्ड मुंबई (1,808) में खरीदे गए। इसके बाद कोलकाता (1,440), दिल्ली (919) और हैदराबाद (846) का नंबर आता है। ऊंची कीमत वाले बॉन्ड को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश का अमीर तबका चुनावी बॉन्ड में खासी दिलचस्पी दिखा रहा है।
दिल्ली में कैश कराए गए 80 फीसदी बॉन्ड
अब तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की चुनिंदा शाखाओं ने 12 चरणों में चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं। कुल बॉन्ड में 83 प्रतिशत मुबंई, कोलकाता, दिल्ली और हैदराबाद में ही खरीदे गए हैं। कुल 6,128 करोड़ कीमत के बॉन्ड्स में 6,108 करोड़ को भुना लिया गया है, जबकि बचे हुए 20 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड में जमा करवा गए हैं। सिर्फ दिल्ली में 80 प्रतिशत बॉन्ड्स को कैश कराया गया है।
2017 में शुरू किए गए थे चुनावी बॉन्ड
केंद्र सरकार ने 2017 के वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड लाने की घोषणा की थी। केवल SBI को ये बॉन्ड करने का हक है और इन पर नोटों की तरह इनकी कीमत छपी होती है। ये बॉन्ड्स एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये के मल्टीपल्स में खरीदे जा सकते हैं। SBI हर तिमाही में 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड बिक्री करता है। ये ब्याज मुक्त होते हैं।
क्या है चुनावी बॉन्ड खरीदने और कैश कराने की प्रक्रिया?
कोई भी व्यक्ति या संस्था, जिसका बैंक में KYC पूरा है, वह चुनावी बॉन्ड खरीद सकती है। चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों को 15 दिन के भीतर उन्हें अपनी मनपसंद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर देना होता है। राजनीतिक पार्टी अपने वेरिफाइड अकाउंट में उन्हें प्राप्त चुनावी बॉन्ड्स को कैश करा सकती है। चुनावी बॉन्ड पाने की हकदार केवल वही राजनीतिक पार्टियां हैं जिन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव में न्यूनतम एक प्रतिशत वोट मिले हैं।
क्यों लाए गए थे चुनावी बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे चुनावी सुधार और राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना मकसद बताया था। हालांकि, इसके विरोधियों का तर्क है कि इससे पारदर्शिता प्रभावित होती है और यह नहीं पता चलता कि किस कंपनी ने किसे चंदा दिया है। दरअसल, चुनावी बॉन्ड की पूरी प्रक्रिया में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी केवल बैंक के पास होती है और पार्टियां अपने चंदे की जानकारी देने की जिम्मेदारी से बच जाती हैं।
कैसे प्रभावित होती है पारदर्शिता?
चुनावी बॉन्ड के विरोधियों का एक तर्क यह भी है कि इसके जरिए कोई भी कंपनी या अमीर व्यक्ति किसी भी पार्टी को मनचाहा चंदा दे सकता है। इसके बदले में कंपनियां या अमीर व्यक्ति राजनीतिक पार्टियों को अपने पक्ष में प्रभावित कर सकते हैं। यह बात कभी सामने नहीं आएगी कि किस पार्टी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है। इसके अलावा विरोधी चुनावी बॉन्ड के जरिए कालेधन को सफेद किए जाने की आशंका भी जताते हैं।