झारखंड में 10,000 आदिवासियों पर देशद्रोह का मुकदमा, राहुल गांधी ने खड़े किए सवाल
क्या है खबर?
झारखंड के एक जिले में 10,000 से अधिक आदिवासियों पर देशद्रोह का मुकदमा किए जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि इस खबर को हमारे देश की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मीडिया को निशाने पर लेते हुए राहुल ने कहा कि इससे मीडिया में एक तूफान खड़ा होना चाहिए था लेकिन हमारी बिकी हुई मीडिया अपनी आवाज खो चुकी है।
सवाल
"क्या नागरिक के तौर पर हम अपनी आवाज खोने का खतरा उठा सकते हैं?"
ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा है, 'ये खबर कि कोई सरकार कठोर "देशद्रोह" के कानून को सरकार के दमन के खिलाफ लड़ रहे 10,000 आदिवासियों पर प्रयोग कर सकती है, को हमारे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देना चाहिए था और मीडिया में एक तूफान खड़ा होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हमारी बिकी हुई मीडिया अपनी आवाज खो चुकी है। क्या नागरिक के तौर हम ये खतरा उठा सकते हैं?'
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, झारखंड के कुंती जिले में आदिवासियों ने 2017 में पत्थर गाड़ कर अपने अधिकारों की मांग की थी।
इन पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अधिसूची के तहत आदिवासी इलाकों को प्राप्त विशेष स्वायत्तता को मोटे अक्षरों में लिखा गया था।
पत्थर गाड़ कर अपने अधिकार बताने के कारण इसे 'पत्थलगड़ी अभियान' नाम दिया गया था।
अभियान के जवाब में झारखंड पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हजारों आदिवासियों के खिलाफ केस दर्ज किया।
मुकदमा
आदिवासियों पर हुईं FIR प्राप्त करने में कामयाब रही एक वेबसाइट
न्यूज वेबसाइट www.scroll.in आदिवासियों पर दायर ऐसी ही 19 FIR प्राप्त करने में कामयाब रही है जिनमें 11,200 से अधिक लोगों पर सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
इनमें से 14 FIR ऐसी हैं जिनमें देशद्रोह की धारा 124A लगाई गई है और इनमें 10,000 से अधिक लोगों का नाम शामिल है।
सभी 19 FIR में 132 लोग नामजद हैं, जिनमें 43 ग्राम प्रमुख हैं।
बाकी अज्ञात हैं जिसके कारण आदिवासियों में डर बना हुआ है।
आंकड़े
सभी FIR प्राप्त होने पर बढ़ सकती है संख्या
ये संख्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशद्रोह के आरोपी 10,000 से अधिक आदिवासी कुंती जिले की जनसंख्या का दो प्रतिशत हैं।
देशद्रोह के आरोपी आदिवासियों की संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि पत्थलगड़ी अभियान में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों के खिलाफ 19 से ज्यादा FIR हुई हैं।
जून 2018 में पत्थलगड़ी अभियान के दौरान कुंती के घाघरा गांव में हिंसा भी हुई थी।
राजनीतिक प्रभाव
अभियान से पहुंचा भाजपा सरकार की छवि को नुकसान
इस अभियान से राज्य की भाजपा सरकार की छवि को भी बहुत नुकसान पहुंचा है और भाजपा नेताओं का मानना है कि रघुवार दास सरकार ने मामले को ठीक से नहीं संभाला।
इससे पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान का अंदेशा भी जताया जा रहा है।
बता दें कि झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर से लेकर 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे।
जानकारी
घाघरा गांव ने किया चुनाव के बहिष्कार का ऐलान
इस बीच घाघरा गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। एक ग्रामीण ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "सरकार हम पर विकास थोपना चाहती है। सरकार कहती है कि हम देशद्रोही हैं, तो हमें वोट क्यों देना चाहिए?"