उत्तर प्रदेश: कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर पुलिसकर्मियों ने की नाबालिग की पिटाई, हिरासत में मौत
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिलें में कोरोना कर्फ्यू तोड़ने के लिए हिरासत में लिए गए एक 17 वर्षीय नाबालिग की पुलिस की पिटाई से मौत का मामला सामने आया है। नाबालिग को तब हिरासत में लिया गया, जब वह अपने घर के बार सब्जियां बेच रहा था। मामले में कार्रवाई करते हुए दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं पहले निलंबित किए गए एक होम गार्ड को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
घटना उन्नाव जिले के बांगरमऊ कस्बे के भटपुरी इलाके की है। नाबालिग पीड़ित के परिजनों के अनुसार, शुक्रवार को वह अपने घर के बाहर सब्जियां बेच रहा था, तभी कुछ पुलिसवाले उसे उठाकर स्थानीय पुलिस स्टेशन ले गए। आरोप है कि थाने में उसे बुरी तरह पीटा गया जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। हालत बिगड़ने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
स्थानीय लोगों ने जाम की लखनऊ जाने वाली सड़क
पुलिस की पिटाई से नाबालिग की मौत की जानकारी मिलने पर स्थानीय लोगों में गुस्सा फूट पड़ा और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई, पीड़ित परिवार को मुआवजा और एक परिजन को नौकरी देने की मांग करते हुए लखनऊ जाने वाली सड़क पर जाम लगा दिया। लोगों के प्रदर्शन के बाद जिला पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया, वहीं एक होम गार्ड को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है।
सुनें उन्नाव पुलिस का पूरा बयान
उत्तर प्रदेश में 30 अप्रैल से कर्फ्यू लागू
बता दें कि कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए उत्तर प्रदेश में 30 अप्रैल से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है जिसमें लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। तब से कई बार इसका समय बढ़ाया जा चुका है और अभी यह सोमवार सुबह 7 बजे खत्म होना है। इस कर्फ्यू में केवल आवश्यक गतिविधियों के लिए घर से बाहर निकलने की इजाजत है और केवल कुछ समय के लिए ही दुकानों को खोलने की इजाजत दी जाती है।
उत्तर प्रदेश में क्या है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति?
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण खराब हुई स्थिति अब सुधरने लगी है। शुक्रवार को यहां 7,735 नए मामले सामने आए और 172 मरीजों की मौत हुई। इससे पहले यहां एक दिन में 38,000 से अधिक नए मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में अभी तक कुल 16,59,212 लोगों को संक्रमित पाया जा चुका है और 18,760 मरीजों की मौत हुई है। सरकार पर मौतों और मामलों को छिपाने के आरोप भी लग रहे हैं।