ओडिशा: कटक में मकर संक्रांति के मेले के दौरान भगदड़, एक की मौत और कई घायल
ओडिशा में मकर संक्रांति मेले के दौरान शनिवार को कटक जिले के अथागढ़ में महानदी पर गोपीनाथपुर-बदंबा टी-पुल पर भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक की मौत हो गई, जबकि महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कुछ बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी तक मरने वालों की संख्या की पुष्टि नहीं हुई है।
पुल पर जुटे थे दो लाख से अधिक लोग
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मकर संक्रांति मेले के मौके पर 3.4 किलोमीटर लंबे पुल पर दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु जुटे थे। यह ओडिशा का सबसे लंबा नदी पुल है। श्रद्धालु महानदी के एक द्वीप पर स्थित मंदिर में भगवान सिंहनाथ के दर्शन के लिए आगे बढ़ रहे थे, तभी यह भगदड़ मच गई। घायलों को इलाज के लिए कटक शहर के SCB मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया है।
पुल पर अत्यधिक भीड़ इकट्टा होने से स्थिति बिगड़ गई
घायलों की संख्या अधिक, अन्य अस्पताल में किए गए रेफर
बारंबा अस्पताल के डॉ. रंजन कुमार बारिक ने जानकारी देते हुए बताया, "हादसे में एक महिला की मौत हो गई, जबकि नौ लोग घायल हो गए हैं। तीन घायलों को उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए कटक के दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया है।"
अथागढ़ के सब कलेक्टर हेमंत कुमार स्वैन ने दी जानकारी
अथागढ़ के सब कलेक्टर हेमंत कुमार स्वैन ने इस बारे में मीडिया से जानकारी साझा की। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार उन्होंने कहा, "जब भगदड़ मची तब पुल पर दो लाख से ज्यादा लोग थे। भीड़ हमारी उम्मीद से ज्यादा थी। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।" कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद यहां लोग इकट्ठा हुए थे जिसके कारण ज्यादा भीड़ हुई।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने की मुआवजे की घोषणा
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाली महिला के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। उन्होंने इस हादसे को लेकर गहरा दुख भी व्यक्त किया है।
दो माह पूर्व मोरबी में हुआ था बड़ा हादसा
पिछले साल गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर को मच्छू नदी पर बना पुल टूटने से भी बड़ा हादसा हो गया था। उस हादसे में 141 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जबकि 180 से अधिक लोगों घायल हो गए थे। यह हादसा छठ पूजा के दौरान हुआ था, तब पुल पर क्षमता से कहीं अधिक भीड़ जुट गई थी, जिसके चलते केबल टूट गई थी और पुल नदी में समा गया था।