
मध्य प्रदेश में जहरीली सिरप मामला: 364 नियमों के उल्लंघन से हुई 16 बच्चों की मौत
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीली 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप से 16 बच्चों की मौत होने के मामले में बड़ा हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इस सिरप का निर्माण कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल फैक्ट्री में 364 से अधिक नियमों का उल्लंघन करते हुए किया गया था। फैक्ट्री की जांच को लेकर तैयार तमिलनाडु सरकार की 26 पेज की रिपोर्ट ने मामले की पूरी हकीकत को उजागर कर दिया है। आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासे किए गए हैं।
रिपोर्ट
तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक ने जांच के बाद तैयार की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासक (FDA) की सूचना के बाद 1-2 अक्टूबर को तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक ने श्रीसन फार्मास्युटिकल में छापा मारकर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इंडिया टुडे के हाथ लगी रिपोर्ट के अनुसार, फैक्ट्री के अंदर का नजारा हैरान करने वाला था। घरेलू गैस स्टोव पर केमिकल गर्म किए जा रहे थे, प्लास्टिक की पाइपों से झाग और अवशेष निकाले जा रहे थे और बिना दस्ताने और मास्क के मजदूर केमिकल मिला रहे थे।
अनदेखी
प्रशिक्षित केमिस्ट के बिना तैयार की जा रही थी दवा
रिपोर्ट के अुनसार, फैक्ट्री में प्रशिक्षित केमिस्ट और कोई प्रयोगशाला नहीं थी। इसी तरह दवा की गुणवत्ता जांच भी नहीं की जा रही थी। जांच में सिरप में 48.6 प्रतिशत जहरीला डाइएथिलीन ग्लाइकॉल मिला था। इसका इस्तेमाल पेंट और एंटीफ्रीज में किया जाता है। यही जहरीली सिरप छिंदवाड़ा में बुखार और खांसी से पीड़ित बच्चों को दी गई, जो उनके लिए मौत का फरमान साबित हो गई। मध्य प्रदेश में 14 और राजस्थान में 2 बच्चों की मौत हुई।
खामियां
फैक्ट्री की जांच में मिली 364 से अधिक खामियां
रिपोर्ट के अुनसार, जांच में फैक्ट्री में जंग लगे उपकरण मिले, गंदगी और खुली नालियां थी, दीवारों पर फफूंदी थी, कोई एयर फिल्टर और सुरक्षा सिस्टम नहीं था। इसी तरह शुद्ध पानी की व्यवस्था, हवा के फिल्टर और कीट नियंत्रण भी नहीं थे। सिरप बनाने के लिए पानी भी अज्ञात स्रोत से लाया जा रहा था और घरेलू गैस सिलिंडरों का इस्तेमाल हो रहा था। फैक्ट्री में 39 गंभीर और 325 बड़ी नियमों के उल्लंघन की खामियां सामने आई।
खरीद
प्रमाणित दवा सप्लायर से नहीं खरीदे गए रसायन
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने इस सिरप को बनाने के लिए इंडस्ट्रियल ग्रेड केमिकल चेन्नई के स्थानीय डीलरों से नकद और ऑनलाइन भुगतान के जरिए बिना किसी जांच या अनुमति के खरीदे थे। कंपनी के पास इस खरीद का बिल भी नहीं मिला। इससे साफ है कि सिरप में इस्तेमाल होने वाले अहम रासायनिक तत्व प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल किसी प्रमाणित दवा सप्लायर से नहीं बल्कि पेंट और केमिकल व्यापारियों से लिया गया था।
मात्रा
500 गुना ज्यादा थी डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा
कोल्ड्रिफ सिरप बैच SR-13 में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से 500 गुना ज्यादा थी। यह सिरप मई 2025 में बनी थी और अप्रैल 2027 तक वैध थी। महीनों तक यह सिरप बाजार में बिकती रही और आखिर में 16 बच्चों की मौत का कारण बन गई। बता दें कि डाइएथिलीन ग्लाइकॉल बहुत कम मात्रा भी मनुष्यों के लिए घातक साबित होती है। यह दुनिया भर में बड़े पैमाने पर विषाक्तता की घटनाओं का एक जाना-माना कारण है।
जानकारी
पूरी व्यवस्था की विफलता दर्शाती है यह घटना
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की विफलता है। चेन्नई में घटिया केमिकल की खरीद से लेकर उत्पादन तक और मध्यप्रदेश में बिना रोकटोक वितरण तक। हर स्तर पर विफलता रही है।
कार्रवाई
सरकार ने अब तक क्या की कार्रवाई?
निरीक्षण के बाद तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर से पूरे राज्य में कफ सिरप कोल्ड्रिफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और बाजार से सारा स्टॉक हटाने का आदेश दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले में सिरप निर्माता से स्पष्टीकरण मांगा है। अगले आदेश तक संयंत्र में उत्पादन रोक लगा दी गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने जांच पूरी होने तक कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरी घटना?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया में पिछले एक महीने में 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। पहला संदिग्ध मामला 22 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी। बच्चों को शुरुआत में बुखार और सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण थे, लेकिन धीरे-धीरे पेशाब करने में परेशानी होने लगी और किडनी फेल हो गई। इन बच्चों को 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप दी गई थी। इसी तरह राजस्थान में भी 2 बच्चों की मौत हुई है।