23 जून को मोदी अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मिलेंगे, जहां उनके लिए दोपहर के भोज का आयोजन किया जाएगा। वे कई प्रमुख कंपनियों के अधिकारियों से भी मुलाकात कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री का संबोधन खत्म हो गया है। इस दौरान अमेरिकी सांसदों ने कई बार तालियां बजाईं। बाद में मोदी ने अमेरिकी सांसदों को ऑटोग्राफ भी दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, "जब मैं यहां 2016 में था तब मैंने बोला था कि हमारे संबंध भविष्य के लिए जरूरी है। आज ही का दिन वो भविष्य है। मैं स्पीकर, सांसद, उपराष्ट्रपति का धन्यवाद देता हूं। जय हिंद। भारत-अमेरिका दोस्ती हमेशा रहे।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम अलग-अलग इतिहास से आते हैं, लेकिन हम एक ही लक्ष्य साझा करते हैं। जब हमारे संबंध प्रगाढ़ होंगे तो इसका फायदा मानवता को होगा और लोकतंत्र दमकेगा। ये हमारे संबंधों का मिशन है।"
प्रधानमंत्री ने संबोंधन के दौरान एक कविता भी पढ़ी।
आसमान में सिर उठाकर, घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प लें, अभी तो सूरज उगा है
दृढ़ निश्चय के साथ चलकर, हर मुश्किल को पार कर
घोर अंघेरे को मिटाने, अभी तो सूरज उगा है
प्रधानमंत्री ने कहा, "नए वर्ल्ड ऑर्डर को विकसित करना जरूरी है। ग्लोबल साउथ को आवाज देकर आगे की राह बनाई जा सकती है। मैं मानता हूं कि अफ्रीकन यूनियन को G20 की सदस्यता दी जानी चाहिए। दोनों देश इस राह में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "26/11 के 1 दशक बाद आतंकवाद अभी भी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। ये विचारधारा नए स्वरूप धारण कर लेती है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही है। आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है और इससे निपटने में कोई बहाना नहीं है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति दोनों देशों के लिए अहम है। हम एक स्वतंत्र और समावेशी हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र का विजन साझा करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक और दवाब से दूर क्षेत्र चाहते हैं। हम ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कनेक्टिविटी का प्रयोग रणनीति के लिए किया जाए।"
प्रधानमंत्री बोले, "ये युद्ध का युग नहीं है बल्कि संवाद का है। हम सभी को मिलकर युद्ध रोकने के लिए जो बन सके करना चाहिए।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हर भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति दोनों देशों के संबंधों को आगे ले गए हैं। मैं बाइडन की बात से सहमत हूं कि ये ऐतिहासिक समझौता है, क्योंकि ये बड़े उद्देश्यों को पूरा करता है। 21वीं सदी में टेक्नोलॉजी ही रक्षा और विकास जरूरतों को पूरा करेगी।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "एक दशक पहले तक हम रक्षा मामलों में अनजान थे। अब अमेरिका हमारा सबसे बड़ा रक्षा साझेदार देश है। आज भारत और अमेरिका साथ मिलकर अंतरिक्ष, समुद्र, विज्ञान. कृषि, आर्ट, शिक्षा, ऊर्जा, स्टार्टअप से लेकर टेक्नोलॉजी तक में मिलकर काम कर रहे हैं। मैं कहना चाहता हूं कि हमारे संबंधों का स्कोप असीमित है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "अमेरिका के साथ भारत के संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत अगर रक्षा और अंतरिक्ष में विकास करता है तो अमेरिका की इंडस्ट्री विकास करती है। जब अमेरिकी कंपनी रिसर्च में विकास करती है तो भारत विकास करता है। जब अमेरिकी फोन निर्माता भारत में निवेश करते हैं तो इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना से जीते हैं। दुनिया के साथ हमारे संबंध सभी के फायदे के लिए है। 'वन अर्थ वन हेल्थ' से हम मानव और पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे हैं। हम योगा के जरिए एकता की भावना को बढावा दे रहे हैं। कोरोना के दौरान हमने 150 से ज्यादा देशों को वैक्सीन डोनेट की।"
मोदी ने कहा, "लोकतंत्र की आत्मा हमें परिभाषित करती है। भारत विकास के साथ ही पर्यावरण का ख्याल रख विकसित हो रहा है। हम मानते हैं कि धरती हमारी माता है और हम इसकी संतान। भारतीय संस्कृति मानती है कि पर्यावरण हमारी माता है। हमने सौर ऊर्जा की क्षमता 2300 प्रतिशत बढ़ाई है। हम एकमात्र G20 देश है, जिन्होंने पेरिस समझौते की लिमिट को प्राप्त कर लिया है।"
मोदी ने कहा, "आज के भारत में महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है। महिलाएं बेहतर भविष्य का नेतृत्व कर रही हैं। आदिवासी समाज से आने वाली महिला भारत में राष्ट्रपति हैं। 15 लाख महिलाओं को अलग-अलग स्तर पर नेतृत्व करते देखा जा रहा है।"
प्रधानमंत्री ने कहा टेक्नोलॉजी का हब बन रहा है भारत। रील से लेकर रीयल टाइम पेमेंट तक में भारत अग्रणी है। फिनटेक से लेकर डेटा साइंस तक में देश का युवा उदाहरण है कि समाज कैसे टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे सकता है।
मोदी ने कहा कि पिछले साल भारत ने आजादी के 75 साल पूरे किए हैं। हर मील का पत्थर महत्वपूर्ण है, लेकिन यह उपलब्धि विशेष है। हमने किसी न किसी रूप में हजारों वर्षों के विदेशी शासन के बाद अपनी 75 वर्षों की स्वतंत्रता की उल्लेखनीय यात्रा का जश्न मनाया। यह सिर्फ लोकतंत्र का ही नहीं बल्कि विविधता का भी उत्सव था।
मोदी ने कहा, "भारत में 2500 राजनीतिक दल हैं। हजार से ज्यादा भाषाएं हैं। हर 100 मील पर खानपान बदल जाते हैं. दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा भारत में रहता है। भारत का विकास दूसरे देशों को प्रेरित करता है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "लोकतंत्र दोनों देशों का एक पवित्र और साझा मूल्य है, लोकतंत्र एक ऐसी भावना है जो समानता और सम्मान पैदा करती है। लोकतंत्र ऐसी संस्कृति है कि जो भावनाओं को पंख देती है। भारत लोकतंत्र की जननी है। अमेरिका सबसे पुराना और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है। साथ में दोनों दुनिया को बेहतर भविष्य दे सकते हैं।"
मोदी ने कहा, "आज भारत पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। हम केवल बढ़ नहीं रहे हैं, बल्कि तेजी से बढ रहे हैं, जब भारत बढ़ता है तो दुनिया बढ़ती है।"