JNU देशद्रोह मामला: अदालत में पेश हुए कन्हैया और अन्य आरोपी, 7 अप्रैल को अगली सुनवाई
क्या है खबर?
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत नौ आरोपी देशद्रोह के मुकदमे में आज दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए।
पटियाला हाउस कोर्ट ने आज की सुनवाई में पुलिस को सभी आरोपियों को चार्जशीट की कॉपियां देने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह ट्रायल शुरू हुआ है।
पृष्ठभूमि
9 फरवरी, 2016 से शुरू हुआ था मामला
9 फरवरी, 2016 को JNU में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
JNU प्रशासन ने इस कार्यक्रम को मंजूरी देने से इनकार किया था, जिसके बाद छात्रों के दो गुट आपस में भिड़ गए।
आरोपों के अनुसार, इस दौरान कुछ छात्रों ने देश-विरोधी नारे लगाए थे।
तब इस मामले में JNU छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद आदि छात्रों को गिरफ्तार किया गया था।
मुकदमा
अदालत ने पिछले महीने लिया था चार्जशीट का संज्ञान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को कन्हैया, उमर खालिद और भट्टाचार्य के अलावा अकीब हुसैन, मुजीब हुसैन गट्टू, मुनीब हुसैन गट्टू, उमर गुल, रईस रसूल, बशारत अली और खालिद बशीर भट्ट के वकील कोर्ट में पेश हुए।
पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डॉ पंकज शर्मा ने 16 फरवरी को इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को 15 मार्च को पेश होने का आदेश दिया था।
सुनवाई
आज की सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
सोमवार को हुई सुनवाई में कन्हैया के वकीलों ने अदालत से पूछा कि वह अगली सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रह सकते हैं तो जज ने कहा कि वो सुनवाई की हर तारीख पर इसका फैसला करेंगे। कई आरोपियों के वकीलों ने मामले की अगली सुनवाई जल्द करने की भी मांग की।
इसके अलावा आज अदालत ने उन सात आरोपियों को 25,000-25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी, जिनकी गिरफ्तारी के बिना दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर की थी।
आरोप
आरोपियों के खिलाफ लगी है गंभीर धाराएं
इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (देशद्रोह), 323, 465, 471, 143, 149, 147 और 120B के तहत आरोप लगाए गए हैं।
ये धाराएं जालसाजी, दंगा करने, आपराधिक साजिश आदि से संबंधित है।
चूंकि इस मामले में देशद्रोह की धारा लगी हुई है, इसलिए इसके तहत आरोप तय करने से पहले सक्षम प्राधिकारी (इस मामले में दिल्ली सरकार) से मंजूरी लेनी होती है।
अगर मंजूरी नहीं मिलती तो अदालत इस धारा पर आपत्ति जता सकती है।