#NewsBytesExplainer: विदेश मंत्री एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा कितना अहम है?
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाएंगे। वे 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में इस बैठक में शिरकत करेंगे। बीते 8 साल में ये पहली बार होगा, जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों को देखते हुए ये दौरा काफी अहम है। आइए इस यात्रा की अहमियत जानते हैं।
क्या ये संबंध सुधारने की कोशिश है?
पाकिस्तान में भारत के अंतिम उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "भारत ने साहसिक कदम उठाया है। भारत ने संकटग्रस्त संबंधों को स्थिर करने की इच्छा का संकेत दिया है। गेंद अब पाकिस्तान के पाले में है। उसे इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और एक सार्थक द्विपक्षीय बैठक का प्रस्ताव रखना चाहिए।" हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दौरे के बारे में बैठक से ज्यादा नहीं सोचा जाना चाहिए।
विदेश मंत्री के पाकिस्तान जाने के क्या मायने हैं?
BBC से बात करते हुए ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा, "अगर प्रधानमंत्री खुद पाकिस्तान जाते तो इसका एक अलग संदेश होता, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं जा रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि भारत फिलहाल उच्च-स्तरीय नेतृत्व के स्तर पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत के लिए तैयार नहीं है। फिर भी विदेश मंत्री का जाना ये दिखाता है कि भारत SCO में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।"
द्विपक्षीय संबंधों के लिए कितना अहम है दौरा?
प्रोफेसर पंत कहते हैं, "मेरा मानना है कि मौजूदा दौर में भारत के पास कोई ऐसा प्रोत्साहन नहीं है। पाकिस्तान की आंतरिक परिस्थितियां भी सुधरी नहीं हैं। वहां सत्ता के केंद्र को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है। इसलिए भारत के पास कोई बड़ा कारण नहीं है कि वह पाकिस्तान के मौजूदा प्रशासन के साथ सीधा संवाद करे। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस दौरे से द्विपक्षीय संबंधों में कोई बड़ा बदलाव आएगा।
SCO के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है दौरा
तनाव के बावजूद विदेश मंत्री का पाकिस्तान जाना दर्शाता है कि भारत SCO को कितनी अहमियत देता है। SCO भारत को मध्य-एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत के लिए SCO क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने और रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण मंच है। समूह का क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचा आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की विदेश नीति में भी मदद करता है।
क्या द्विपक्षीय वार्ता होगी?
यात्रा के दौरान पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। जयशंकर ने कहा, "यह दौरा बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए होगा। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं वहां SCO के एक अच्छे सदस्य के तौर पर जा रहा हूं। आप जानते हैं कि मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए मैं उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा। पाकिस्तान दौरे पर मीडिया को रुचि होगी, मगर मैं साफ कह दूं कि कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।"
2016 में आखिरी बार पाकिस्तान गया था कोई भारतीय मंत्री
जयशंकर से पहले आखिरी बार 2016 में भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान गया था। तब तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह SAARC के बैठक में शामिल होने इस्लामाबाद गए थे। इससे पहले 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अचानक से लाहौर पहुंच गए थे। उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। इसके बाद से अनुच्छेद 370 हटने और आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए हैं।
SCO क्या है?
SCO एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी औपचारिक स्थापना 2001 में एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बन गए। 2023 में ईरान भी इसका सदस्य बना। SCO देशों में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का योगदान 20 प्रतिशत के आसपास है।