भारत ने चीन द्वारा LAC पर बसाए गए गांव को 'अवैध कब्जा' बताया
क्या है खबर?
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे तनाव के बीच चीन ने विवादित क्षेत्र में एक बड़े गांव निर्माण कर लिया है।
इसका गत दिनों अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट में भी खुलासा किया गया था। इस पर अब भारत की ओर से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया दी गई है।
भारत ने कहा कि उसने अपने क्षेत्र पर इस तरह के "अवैध कब्जे" को कभी स्वीकार नहीं किया है और देश संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा।
पृष्ठभूमि
अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
3 नवंबर को अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन LAC के करीब बुनियादी सुविधाओं के विकास पर तेजी से काम कर रहा है। कई इलाकों में रेलवे लाइन बिछाई जा चुकी है जिस पर तेज गति से ट्रेन चल सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र में 100 घरों का एक गांव भी बसा दिया है।
दावा
अमेरिकी रिपोर्ट में किया गया था सेना को आगे बढ़ाने का दावा
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन LAC के करीब बुनियादी सुविधाओं के विकास को लेकर अक्सर भारत पर आरोप लगाता रहता है, लेकिन हकीकत में वह खुद ऐसा कर रहा है।
भड़कावे की कार्रवाई करते हुए चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर अपनी सेना को आगे बढ़ा दिया है और अब उसे पीछे करने से इन्कार कर रहा है। वहां का मीडिया इसे अपनी सेना का अतिक्रमण नहीं मानकर कब्जा की जमीन को अपनी बता रहा है।
प्रतिक्रिया
भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया अवैध कब्जा- बागची
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "भारत ने न तो हमारे क्षेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और न ही अनुचित चीनी दावे को स्वीकार किया है।"
उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने सड़कों और पुलों सहित सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी लाई है, जिससे लोगों को जरूरी संपर्क मिला है। सरकार अरुणाचल प्रदेश सहित नागरिकों की आजीविका में सुधार के लिए भी प्रतिबद्ध है।"
नजर
"सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर रखते हैं नजर"
बागची ने कहा, "सरकार भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है और देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार ने कूटनीतिक माध्यमों से हमेशा चीन की गतिविधियों पर अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया है और आगे भी करती रहेगी। चीन के इस तरह किए गए अवैध कब्जे को किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।"