#NewsBytesExplainer: कैसे जिगिशा हत्याकांड, एक टैटू और वायरलेस के कारण पकड़े गए पत्रकार सौम्या के हत्यारे?
पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जिगिशा घोष की हत्या के मामले में मिले सूबतों के कारण ही सौम्या हत्याकांड का खुलासा हो पाया। उन्होंने कहा कि मामले को सुलझाने में CCTV फुटेज, एक आरोपी के हाथ पर बने टैटू और पुलिसकर्मी से चुराए गए वायरलेस सेट से मदद मिली। आइए जानते हैं कि पुलिस सौम्या के हत्यारों तक कैसे पहुंची।
क्या है जिगिशा की हत्या का मामला?
एक IT कंपनी में काम करने वाली 28 वर्षीय जिगिशा घोष की 18 मार्च, 2009 को सुबह अंधेरे में वसंत विहार स्थित उनके घर के पास हत्या कर दी गई थी। वो ऑफिस से घर लौट रही थीं। उनका शव फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में मिला था। जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि इसी मामले में पूछताछ के दौरान रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक नामक आरोपियों ने 2008 में सौम्या की हत्या की भी बात कबूली।
कैसे पकड़ में आए हत्यारे?
वर्मा ने बताया, हमें पहला सुराग CCTV फुटेज से मिला, जहां हमने पाया कि एक आरोपी के हाथ पर टैटू था। हत्यारों ने जिगिशा के डेबिट कार्ड का उपयोग करके खरीदारी की थी। एक अन्य आरोपी के पास वायरलेस सेट था और उसने टोपी पहन रखी थी। उन्होंने बताया कि मामले में इंटेलिजेंस नेटवर्क ने बारीकी से काम किया और जल्द ही मसूदपुर स्थित मलिक के आवास पर पहुंचीं और फिर कपूर और शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया।
मलिक के हाथ पर था उसके नाम का टैटू
वर्मा ने बताया कि मलिक ने अपने हाथ पर अपने नाम का टैटू गुदवाया हुआ था, जबकि कपूर एक वायरलेस सेट रखता था, जो उसने एक पुलिसकर्मी से छीन लिया था। उन्होंने कहा, "आरोपियों ने वसंत विहार में उसके घर के पास से जिगिशा का अपहरण किया था। बाद में उन्होंने उसकी हत्या कर दी और शव को लूटने के बाद फेंक दिया।" हालांकि, वो अपने पीछे इतने सबूत छोड़ गए कि पकड़ में आ गए।
जिगिशा हत्याकांड से कैसे जुड़ी सौम्या हत्याकांड की कड़ी?
पूछताछ में रवि कपूर ने जिगिशा की तरह एक और लड़की की हत्या करने की बात कही और इस मामले में उसके 2 अन्य सहयोगी, अजय कुमार और अजय सेठी, भी शामिल थे। पुलिस उसके इस कबूलनामे से हैरान रह गई और जब उसने फाइलें खोलीं तो ये पता करने में देर नहीं लगी कि कपूर जिस लड़की की हत्या की बात कर रहा था, वो सौम्या ही थी। वसंत विहार में सौम्या और जिगिशा का घर भी पास-पास है।
कबूलनामे के बाद गठित की गई उच्चस्तरीय जांच टीम
कपूर के कबूलनामे के बाद तत्कालीन पुलिस उपायुक्त एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक और टीम गठित की और दोनों हत्याओं की जांच के लिए तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) भीष्म सिंह को नियुक्त किया। ACP सिंह ने कहा, "चूंकि हमारे पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था, इसलिए हमारे सामने बड़ी चुनौती फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की थी और हम दोनों हत्याओं को आपस में जोड़ने की कोशिश में जुट गए।"
सौम्या की हत्या की रात क्या हुआ?
पुलिस के अनुसार, 30 सितंबर, 2008 को जिस रात सौम्या विश्वनाथन की हत्या हुई, उस रात सभी आरोपी नशे में थे। CCTV फुटेज से सामने आया कि कपूर मारुति वैगनआर कार चला रहा था और शुक्ला उसके बगल में बैठा था, जबकि मलिक और कुमार पीछे की सीट पर बैठे हुए थे। तभी एक कार उनकी कार के पास से गुजरी। ये एक मारुति जेन कार थी, जिसे चलाकर सौम्या अपने घर वसंत कुंज लौट रही थीं।
कैसे की गई सौम्या की हत्या?
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सौम्या को अकेले कार चलाता देख आरोपियों ने अपनी कार से उसे ओवरटेक करने की कोशिश में स्पीड बढ़ा दी और सौम्या की कार के करीब आ गए। CCTV फुटेज में देखा गया कि उन्होंने पहले सौम्या को रोकने की कोशिश की और जब उसने अपनी कार नहीं रोकी तो कपूर ने सौम्या की कार पर गोलियां चला दीं। इनमें से एक गोली सौम्या की कनपटी में लगी, जिससे उनकी मौत हो गई।
गोली चलाने के 20 मिनट बाद वापस लौटे थे सभी आरोपी
पुलिस ने अनुसार, गोली लगने के बाद सौम्या की कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई थी। सभी आरोपी मौके से फरार हो गए, लेकिन फिर 20 मिनट बाद उसकी हालत देखने के लिए वापस लौटे और जब उन्होंने पुलिसकर्मियों को देखा तो वे भाग गए।
अब 15 साल बाद आया फैसला
मामले में पुलिस ने 5 आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम अधिनियम (MCOCA) और हत्या जैसे आरोपों में केस दर्ज किया था। मामले की सुनवाई जुलाई, 2016 में ही पूरी हो गई थी, लेकिन फैसला अब वारदात के 15 साल बाद आया है। जिगिशा हत्याकांड में 2016 में 2 आरोपियों को मौत और एक को उम्रकैद की सजा हो गई थी। बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने बाकी दोनों दोषियों की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया।