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सुरक्षा बलों ने माओवादी कमांडर मादवी हिडमा का कैसे किया खात्मा और यह कितनी बड़ी उपलब्धि?
सुरक्षा बलों ने 4 घंटे की मुठभेड़ के बाद किया माओवादी कमांडर मादवी हिडमा का खात्मा

सुरक्षा बलों ने माओवादी कमांडर मादवी हिडमा का कैसे किया खात्मा और यह कितनी बड़ी उपलब्धि?

Nov 18, 2025
07:15 pm

क्या है खबर?

माओवाद के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए मंगलवार तड़के शीर्ष माओवादी कमांडर मादवी हिडमा को मार गिराया। सुरक्षा बलों ने यह कामयाबी आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के मारेदुमिल्ली जंगलों में चलाए गए 4 घंटे लंबे अभियान के बाद मिली है। हिडमा भारत के सबसे वांछित माओवादी कमांडरों में से एक था और उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था। आइए जानते हैं सुरक्षा बलों ने यह सफलता कैसे हासिल की।

सफलता

सुरक्षा बलों को कैसे मिली सफलता?

न्यूज18 के अनुसार, बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) पी सुंदरराज ने बताया कि स्थानीय सूत्रों की मदद से खुफिया एजेंसियों को हिडमा की गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी मिली थी। उसके बाद सुरक्षा बलों ने करीब 34 घंटे तक हिडमा की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी और फिर ऑपरेशन के लिए एक छोटी टीम का गठन किया। यह अभियान आंध्र प्रदेश के माओवादी विरोधी अभियानों के लिए विशेष बल ग्रेहाउंड्स द्वारा केन्द्रीय बलों की सहायता से चलाया गया।

मुठभेड़

सुरक्षा बलों ने 4 घंटे की मुठभेड़ के बाद हिडमा को मारा

IGP सुंदरराज ने बताया कि हिडमा के भागने की हर संभावना को खत्म करने के लिए मारेदुमिल्ली जंगल के चारों ओर केन्द्रीय बलों के सुरक्षा कर्मियों की कई टीमों की रणनीतिक रूप से तैनाती की गई थी। उसके बाद रात करीब 2 बजे हिडमा के मौजूदगी का पता लगते ही सुरक्षा बलों ने अभियान शुरू किया। उन्होंने बताया कि दोनों ओर से लगभग 4 घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई। उसके बाद सुबह करीब 6 बजे हिडमा को मार गिराया गया।

पहचान

कैसे था माओवादी बना हिडमा?

हिडमा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में पुवार्ती गांव में जंगलों में रहने वाले एक आदिवासी गरीब किसान परिवार में हुआ था। उसने 10वीं तक पढ़ाई की थी। वह गरीबी और आदिवासी शोषण को देखकर माआवोदी गतिविधियों की तरह आकर्षित हुआ था। उसके बाद बहुत छोटी उम्र में ही माओवादियों की बैठक में जाने लग गया था। उसे महज 16 साल की उम्र में पूर्णकालिक कैडर बना दिया गया और जंगल युद्ध में प्रशिक्षण भी दिया गया।

उपलब्धि

सबसे कम उम्र में बना सेंट्रल कमेटी का सदस्य

हिडमा ने पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA) का हिस्सा बनकर बंदूक चलाना और घात लगाना सीखा। उसके बाद 2000 के दशक में उसे PLGA में सिपाही से डिप्टी कमांडर बनाया गया। वर्ष 2010 तक वह बटालियन नंबर-1 का कमांडर बन गया। वर्ष 2012-13 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (DKSZC) का सदस्य बना और 2017 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी में शामिल हो गया। हिडमा की उम्र तब 33 साल थी, जो सबसे युवा सदस्य था।

हमले

इन बड़े हमलों ने हिडमा को शीर्ष तक पहुंचाया?

हिडमा ने छत्तीसगढ़ में 26 बड़े हमलों को अंजाम दिया था, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। उसने 2010 में दंतेवाड़ा में घात लगाकर IED हमले से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 76 जवानों को उड़ाया था। उसने 2013 में झीरम घाटी में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं समेत 27 लोग मारे थे, जिसमें महेंद्र कर्मा और विद्या चरण शुक्ला जैसे नेता शामिल थे। साल 2017 में सुकमा में 12 CRPF जवान और 2021 ताररेम-सुकमा में 22 सुरक्षाबल मारे थे।

खूबी

'शैडो कमांडर' के नाम से जाना जाता था हिडमा

पूर्व माओवादी और अब छत्तीसगढ़ जिला रिजर्व गार्ड (DRG) में शामिल सुंदरी ने बताया कि हिडमा को हमलों की सटीक योजना बनाने के कारण 'शैडो कमांडर' कहा जाता था। साल 2025 तक वह नक्सल हिंसा का 'मोस्टवांटेड चेहरा' बन गया। उस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 45 लाख और केंद्र सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा था। वह जंगल युद्ध में माहिर था और अपने चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाकर चलता था। उसकी सुरक्षा बहुत कड़ी थी।

बचाव

हिडमा वर्षों तक सुरक्षा बलों से कैसे बचता रहा?

हिडमा पर नजर रखने वाले सुरक्षाकर्मियों के अनुसार, वह सालों तक सुरक्षा बलों से बचता रहा। इसका कारण था कि उसके तीन सुरक्षा घेरे थे। वह ज्यादातर जंगलों के अंदर की सड़कों से बचते था और अपनी बटालियन की इकाइयों के साथ चलते था। जंगलों में पले-बढ़े और वर्षों तक वहां रहने के कारण हिडमा को वहां के इलाके और जनसांख्यिकी का पूरा ज्ञान था, जिससे उसे सुरक्षा बलों से बचने में मजबूत बढ़त मिलती थी।

उपलब्धि

हिडमा की मौत सुरक्षा बलों के लिए कितनी बड़ी उपलब्धि है?

आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) हरीश कुमार गुप्ता ने कहा कि यह भारत के माओवादी-विरोधी अभियानों की एक शानदार और बहुत बड़ी जीत है। हिडमा की मौत ने CPI (माओवादी) की सबसे शक्तिशाली सैन्य शाखा के प्रमुख को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि हिडमा की मौत बस्तर में माओवादियों के मनोबल के लिए एक बड़ा झटका है। वह आदिवासी माओवादियों के लिए एक प्रेरणा था। उसकी मौत से क्षेत्र में विद्रोही संगठन कमजोर हो जाएगा।