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ग्रेट निकोबार परियोजना में बनने वाले हवाई अड्डे की अहम जानकारी सामने आई, जानें रणनीतिक महत्व
अंडमान और निकोबार में सरकार बहुउद्देशीय हवाई अड्डा बनाने जा रही है

ग्रेट निकोबार परियोजना में बनने वाले हवाई अड्डे की अहम जानकारी सामने आई, जानें रणनीतिक महत्व

लेखन आबिद खान
Dec 21, 2025
01:18 pm

क्या है खबर?

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार इलाके में केंद्र सरकार ग्रेट निकोबार परियोजना पर काम कर रही है। इस परियोजना के तहत द्वीप के दक्षिणी छोर पर बनने वाली हवाई अड्डे का काम शुरू हो गया है। इस हवाई अड्डे से भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी, व्यापार और पर्यटन बढ़ेगा और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रणनीतिक ताकत भी बढ़ेगी। आइए हवाई अड्डे के बारे में जानते हैं।

रिपोर्ट

सैन्य और नागरिक उड़ानें होंगी संचालित

न्यूज18 के मुताबिक, सरकार ने हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सलाहकारों को आमंत्रित कर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस हवाई अड्डे को सैन्य और नागरिक दोनों तरह के इस्तेमाल के लिए बनाया जाएगा। दस्तावेजों के अनुसार, यह हवाई अड्डा बड़े सैन्य प्लेटफार्मों के संचालन को सक्षम बनाएगा। हवाई अड्डे का परिसर चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिसके चलते रनवे पट्टी के पूर्वी किनारे के पास 2 पहाड़ियों की ऊंचाई कम की जाएगी।

संचालन

कहां बनेगा हवाई अड्डा?

हवाई अड्डे को गांधी नगर और शास्त्री नगर के बीच दक्षिणी तटरेखा पर बनाया जाएगा, जो कैम्पबेल बे से 30 किलोमीटर लंबी सड़क द्वारा जुड़ा होगा। हवाई क्षेत्र के संचालन और यातायात सेवाओं का नियंत्रण नौसेना के पास रहेगा, जबकि यात्री टर्मिनल और नागरिक सुविधाओं का प्रबंधन भारतीय विमानन प्राधिकरण करेगा। हवाई अड्डे पर आगे चलकर बड़े विमानों के संचालन के लिए रनवे और टैक्सीवे को चौड़ा करने की भी सुविधा होगी। शुरुआत में मध्यम श्रेणी के विमान उड़ान भरेंगे।

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पर्यावरण

खुदाई में निकले मलबे का दोबारा होगा इस्तेमाल

ये इलाका बड़े पैमाने पर घने वर्षावनों से घिरा हुआ है। इसके लिए उड़ान पथ समुद्र के ऊपर इस तरह से बनाए गए हैं कि आबादी वाले क्षेत्रों के ऊपर विमानों की ऊंचाई ज्यादा हो। पारिस्थितिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए केवल जरूरी पहाड़ियों को ही काटा गया है। इसके अलावा खुदाई के दौरान निकले मलबे का भी हवाई अड्डे की सीमा और अन्य परियोजनाओं के निर्माण में दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो।

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अहमियत

क्यों अहम है परियोजना?

ग्रेट निकोबार द्वीप समूह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सिक्स डिग्री चैनल के पास है। यहां से 30-40 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और चीन का अधिकांश ऊर्जा आयात होता है। हवाई अड्डे के सैन्य इस्तेमाल से अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी में भारत की उपस्थिति मजबूत होगी, जहां अक्सर बाहरी शक्तियां सक्रिय रहती हैं। यहां से फुकेट और लंगकावी जैसे लोकप्रिय द्वीप पर्यटन स्थल 500 किलोमीटर के दायरे में हैं। इससे पर्यटन बढ़ेगा।

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