साइरस मिस्त्री मौत: दुर्घटना के समय कार चला रहीं महिला डॉक्टर के खिलाफ FIR
क्या है खबर?
दुर्घटना के समय साइरस मिस्त्री की कार चला रहीं डॉक्टर अनहिता पंडोले के खिलाफ महाराष्ट्र के पालघर जिले में FIR दर्ज की गई है।
उनके खिलाफ तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाकर जान लेने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (IPC) और मोटर वाहन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
कार के डाटा के विश्लेषण के बाद मर्सिडीज बेंज की रिपोर्ट और अनहिता के पति डेरियस के बयान के आधार पर ये कार्रवाई की गई है।
पृष्ठभूमि
4 सितंबर को कार दुर्घटना में हुई थी साइरस मिस्त्री की मौत
4 सितंबर को मुंबई के पास कार दुर्घटना में साइरस मिस्त्री की मौत हो गई थी। वह मर्सिडीज कार से गुजरात के अहमदाबाद से मुंबई जा रहे थे, तभी पालघर में सूर्या नदी के ऊपर बने पुल पर उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई।
दुर्घटना के समय कार में मिस्त्री, अनहिता पंडोले, उनके पति डेरियस पंडोले और डेरियस के भाई जहांगीर पंडोले सवार थे।
मिस्त्री और जहांगीर की मौके पर मौत हो गई, वहीं अनहिता और डेरियस घायल हुए थे।
कारण
तेज रफ्तार में चल रही थी कार, ओवरटेक करते वक्त हुई दुर्घटना
पुलिस के अनुसार, मिस्त्री की मर्सिडीज बेंज कार को अनहिता चला रही थीं और उनके पति डेरियस उनके साथ आगे बैठे हुए थे, जबकि मिस्त्री और जहांगीर पीछे बैठे हुए थे।
गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और एक दूसरे वाहन को गलत साइड से ओवरटेक करने की कोशिश में दुर्घटना हुई।
दुर्घटना के समय पीछे की सीटों के एयरबैग नहीं खुले जिसके कारण मिस्त्री और जहांगीर के सिर में गंभीर चोट लगी और उनकी मौत हो गई।
तेज रफ्तार
कार ने मात्र 9 मिनट में तय की 20 किलोमीटर की दूरी
पुलिस के अनुसार, कार इतनी रफ्तार में थी कि उसने 20 किलोमीटर की दूरी मात्र 9 मिनट में तय कर ली।
कार दुर्घटनास्थल से 20 किलोमीटर दूर स्थित एक चेकपॉइंट के CCTV में 2:21 बजे कैद हुई थी। दुर्घटना लगभग 2:30 बजे हुई, यानि कार ने 20 किलोमीटर मात्र 9 मिनट में तय कर लिया।
इसी कारण अब अनहिता के खिलाफ तेज रफ्तार में और लापरवाही से गाड़ी चलाने के लिए केस दर्ज किया गया है।
परिचय
कौन थे साइरस मिस्त्री?
साइरस मिस्त्री शापूरजी पलोनजी समूह के संस्थापक और चेयरमैन पलोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे थे। उनका परिवार आयरलैंड के सबसे अमीर भारतीय परिवारों में से एक है।
मिस्त्री ने लंदन बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की थी और 1991 में शापूरजी पलोनजी समूह के लिए काम करना शुरू किया।
1994 में वह समूह के निदेशक बने। 2006 में वह टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए और 2012 से 2016 तक इसके चेयरमैन रहे।