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#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने दवाओं पर लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ, भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका ने अब दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है

#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने दवाओं पर लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ, भारत पर क्या होगा असर?

लेखन आबिद खान
Sep 26, 2025
10:51 am

क्या है खबर?

टैरिफ को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोज नए ऐलान कर रहे हैं। अब उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ये टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होगा। भारत के दवा निर्यात का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को जाता है। यानी इस कदम का भारत पर असर पड़ना तय है। आइए जानते हैं कि भारत को क्या नुकसान हो सकता है।

बयान

सबसे पहले जानिए टैरिफ को लेकर ट्रंप ने क्या कहा

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, '1 अक्टूबर, 2025 से हम किसी भी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा उत्पाद पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जब तक कि कोई कंपनी अमेरिका में अपना दवा निर्माण संयंत्र स्थापित नहीं कर रही हो। 'संयंत्र स्थापित करने' का मतलब होगा की निर्माण चल रहा है। इसलिए, अगर निर्माण शुरू हो गया है, तो उन दवाइयों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!'

निर्यात

भारत अमेरिका को कितनी दवाएं निर्यात करता है?

भारत ने 2024 में अमेरिका को 77,231 करोड़ रुपये के दवा उत्पादों का निर्यात किया था। इस वर्ष की पहली छमाही में भारत अब तक अमेरिका को 32,505 करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात कर चुका है। भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से ज्यादा जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है। डॉक्टर रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, जाइडस लाइफसाइंसेज, सन फार्मा और ग्लैंड फार्मा जैसी कंपनियां अपने कुल राजस्व का 30-50 प्रतिशत अमेरिकी बाजार से कमाती हैं।

जेनेरिक

केवल ब्रांडेड और पेंटेंडेड दवाओं पर लगा है टैरिफ

यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि ट्रंप ने केवल ब्रांडेड और पेटेंडेड दवाओं पर टैरिफ लगाया है। जेनेरिक दवाओं को फिलहाल छूट मिली है। भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा निर्यातक है। जेनेरिक दवाओं को छूट मिलना भारत के लिए थोड़ी राहत की बात है, लेकिन अभी भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और इंडस्ट्री के जानकार ट्रंप के अगले कदम पर नजर रख रहे हैं।

अमेरिका

ट्रंप का फैसले का अमेरिका पर भी होगा असर

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय दवाओं के चलते 2022 में अमेरिका को 219 अरब डॉलर की बचत हुई थी। अनुमान है कि अगले 5 सालों में भारत की जेनेरिक दवाओं से अमेरिका को 1.3 ट्रिलियन डॉलर की अतिरिक्त बचत होगी। 100 प्रतिशत टैरिफ लगने से अमेरिका में दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी, जो टैरिफ से प्रभावित हुए लोगों की परेशानियां और बढ़ाएगी। अमेरिका में अगर कोई डॉक्टर 10 दवाएं लिखता हैं तो उनमें से 4 भारतीय कंपनियों की होती हैं।

विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि अगर टैरिफ लागू होते हैं, तो कंपनियों को अपने अमेरिकी निर्यात में काफी कमी करनी पड़ सकती है। कुछ मामलों में तो कारोबार पूरी तरह बंद करना पड़ सकता है। कंपनियां बढ़ी हुई लागत का बोझ मरीजों पर डालने जैसे अन्य विकल्पों पर विचार कर सकती हैं। भारतीय कंपनियां अमेरिकी जेनेरिक पोर्टफोलियो में कई दवाएं बहुत कम मार्जिन पर बेच रही हैं, इसलिए कंपनियों को अमेरिका में उनकी बिक्री बंद करनी पड़ सकती है।

शेयर

ट्रंप के ऐलान के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर धड़ाम

ट्रंप के ऐलान के बाद कई भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई है। खबर लिखे जाने तक अरबिंदो फार्मा 1.91 प्रतिशत गिरकर 1,076 रुपये पर कारोबार कर रहा है। ल्यूपिन के शेयरों में भी करीब 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। सन फार्मा के शेयर 3.8 प्रतिशत, सिप्ला के शेयर 2 प्रतिशत, स्ट्राइड्स फार्मा साइंस के 6 प्रतिशत, बॉयोकॉन के 4 प्रतिशत, मैनकाइंड फार्मा के 3.30 प्रतिशत और ग्‍लैनफार्मा के 3.7 प्रतिशत गिरे हैं।

प्लस

अब जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में फर्क भी समझ लीजिए

ब्रांडेड दवा वो होती है, जिसे कंपनी सालों की रिसर्च के बाद बनाती है। ये एक तरह से नई दवा होती है, जिसे बनाने वाली कंपनी को इसका पेटेंट मिलता है। कोई दूसरी कंपनी ये दवा नहीं बना सकती। यही वजह है कि इनकी कीमत ज्यादा होती है। जेनेरिक वे दवाइयां होती हैं, जो ब्रांडेड दवा का पेटेंट खत्म होने के बाद उसके फार्मूले की नकल कर बनाई जाती हैं। ये ब्रांडेड के मुकाबले 80 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं।