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मध्य प्रदेश: बच्चों को जहरीली कफ सिरप लिखने वाला डॉक्टर गिरफ्तार, CDSCO की कार्रवाई की मांग
मध्य प्रदेश में बच्चों को जहरीली कफ सिरप लेने की सलाह देने वाला डॉक्टर गिरफ्तार

मध्य प्रदेश: बच्चों को जहरीली कफ सिरप लिखने वाला डॉक्टर गिरफ्तार, CDSCO की कार्रवाई की मांग

Oct 05, 2025
10:08 am

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीली कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने शनिवार रात दबिश देकर बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप लेने की सलाह देने वाले आरोपी डॉ प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया। मृतकों में अधिकतर का उपचार परासिया स्थित बाल रोग विशेषज्ञ प्रवीण सोनी के क्लिनिक में हुआ था। इधर, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) सिरप निर्माताओं पर कार्रवाई की मांग की है।

नौकरी

सरकारी डॉक्टर हैं सोनी 

पुलिस ने बताया कि सोनी एक सरकारी डॉक्टर हैं और उन्होंने अपने निजी क्लिनिक में आए बच्चों को यह सिरप लिखने की सलाह दी थी। उन्हें छिंदवाड़ा के परासिया स्थित एक आवास पर दबिश देकर गिरफ्तार किया है। डॉ सोनी परासिया के जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ हैं। इधर, मध्य प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स नामक कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है, जो कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाती है।

जानकारी

इन धाराओं में दर्ज किया मामला

पुलिस ने बताया कि श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी अंकित सहलम की शिकायत पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27(A) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 और 276 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट

जांच रिपोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

शुक्रवार को जारी एक प्रयोगशाला रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप में 48.6 प्रतिशत डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) था, जो एक जहरीला रसायन है और इसके सेवन से किडनी फेल होने के साथ मौत हो सकती है। चेन्नई स्थित औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में सरकारी औषधि विश्लेषक द्वारा जांचे गए सिरप के नमूने को तमिलनाडु औषधि नियंत्रण निदेशालय द्वारा 'मानक गुणवत्ता का न होना' घोषित किया था। इसके बाद सरकार ने कंपनी के उत्पादों के खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू कर दी।

बैठक

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव करेंगे आपात बैठक

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों (स्वास्थ्य), स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ रविवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे। इसमें कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर चर्चा की जाएगी और दवाओं की गुणवत्ता के साथ सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इससे पहले सरकार ने इस कफ सिरप की पूरे राज्य में बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया था और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

मांग

CDSCO ने क्या की मांग?

समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, CDSCO ने तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) से सीरप बनाने वाली श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ गंभीर अपराधों के तहत सख्त कदम उठाने को कहा है। इसी तरह CDSCO ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दवा निर्माण इकाइयों का जोखिम आधारित निरीक्षण भी शुरू कर दिया है। इन राज्यों से परीक्षण के लिए 19 नमूने एकत्र करने के बाद यह कदम उठाया गया है।

पीड़ा

पीड़िता परिवारों ने सुनाई आपबीती

पीड़ित परिवारों के अनुसार, बच्चों को सर्दी, जुकाम और बुखार हो रहा था। इसके बाद वह बच्चों को उपचार के लिए डॉक्टर के पास ले गए थे, जहां डॉक्टर ने दवाई के साथ कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने का सुझाव दिया था। इसके कुछ दिन बाद बच्चों की तबीयत और भी ज्यादा खराब होने लगी। उनके टॉयलेट में बीमारी के लक्षण दिखने लगे। बच्चे किडनी इंफेक्शन का शिकार हो गए और आखिरकार उनकी मौत हो गई। उनके घर उजड़ गए हैं।

आश्वासन

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिया कार्रवाई का आश्वासन

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को भयावह बताते हुए कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। कफ सिरप बनाने वाली कंपनी तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है, जिसकी जांच की जा रही है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण बच्चों की मौत बेहद दुखद है। पूरे राज्य में इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।'

जानकारी

मुख्यमंत्री ने की मुआवजे की घोषणा

मुख्यमंत्री यादव ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन देने के साथ प्रत्येक मृतक बच्चों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने की भी घोषणा की है। इसी तरह बीमार बच्चों के इलाज का खर्च भी वहन करने का वादा किया है।

मध्य प्रदेश

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया में पिछले एक महीने में 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। पहला संदिग्ध मामला 22 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी। बच्चों को शुरुआत में बुखार और सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण थे, लेकिन धीरे-धीरे पेशाब करने में परेशानी होने लगी और किडनी फेल हो गई। इन बच्चों को कफ सिरप दिया गया था, जिसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल नामक रसायन की गड़बड़ी की बात सामने आई थी।