
दिल्ली हाई कोर्ट से नहीं मिली जमानत, जेल में रहेंगे उमर खालिद और शरजील इमाम
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 में हुए दिल्ली दंगा मामले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्रों उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 9 अन्य आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति नवीन चावला और शालिंदर कौर की खंडपीठ ने गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के मामले में सभी अपीलों को खारिज कर दिया। दोनों के अलावा मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा ने जमानत मांगी थी।
सुनवाई
मुकदमे में देरी को आधार बताकर मांगी थी जमानत
बार एंड बेंच के मुताबिक, ट्रायल कोर्ट ने अभी उनके खिलाफ आरोप तय नहीं किए हैं, इसलिए आरोपियों ने मुकदमे में देरी को आधार बताकर जमानत मांगी थी। उन्होंने बताया था कि वे लंबे समय से जेल में हैं। इससे पहले जुलाई में, पीठ ने जमानत याचिका सुरक्षित रखते हुए अभियोजन पक्ष से कहा था, "5 साल बीत चुके हैं, 700 गवाहों के साथ आरोप पर बहस पूरी नहीं हुई है, एक व्यक्ति को कितने समय अंदर रख सकते है?"
जमानत
2020 से जेल में हैं खालिद
उमर खालिद को सितंबर 2020 में आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा और UAPA के तहत कई अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। वे दूसरी बार जमानत के लिए हाई कोर्ट गए थे। निचली कोर्ट ने पहली बार मार्च 2022 में उन्हें जमानत नहीं दी थी। इसके बाद वे हाई कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन अक्टूबर 2022 में निराशा मिली। वे सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन सुनवाई 14 बार स्थगित हुई। 14 फरवरी, 2024 को उन्होंने याचिका वापस ले ली थी।
राहत
अब तक कितनों को मिली जमानत?
दिल्ली दंगा मामले में 18 आरोपियों में अब तक 10 को जमानत नहीं मिली है। इससे पहले 2020 में कार्यकर्ता सफूरा जरगर, फैजान को जमानत मिली थी। तीन अन्य कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा को 2021 में हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को 2022 में जमानत मिली थी। नौ आरोपियों के अलावा तस्लीम अहमद, सलीम मलिक और आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन भी जमानत के इंतजार में हैं।
दंगा
क्या है दिल्ली दंगा मामला?
वर्ष 2020 में 23 से 26 फरवरी के बीच उत्तर-पूर्व दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इसमें करीब 53 लोग मारे गए और 700 घायल हुए थे। कई दुकानें और घर भी जला दिए गए और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। अब तक दर्ज 695 मामलों में 109 में फैसले सुनाए जा चुके हैं। मामले की जांच विशेष सेल द्वारा की जा रही है।