भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज कर श्रीलंका ने दी चीनी जासूसी जहाज को यात्रा की अनुमति
क्या है खबर?
भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाज यूआन वांग 5 को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की अनुमति दे दी है।
भारत को चिंता है कि इस जहाज का इस्तेमाल जासूसी के लिए हो सकता है। इसके चलते उसने श्रीलंका को अपनी चिंताओं से अवगत करवाया था। इसके बाद श्रीलंका ने एक बार अनुमति रद्द कर दी थी, लेकिन अब इसकी यात्रा को हरी झंडी दिखा दी गई है।
जानकारी
उच्च क्षमता वाला जासूसी जहाज है यूआन वांग 5
चीन का यूआन वांग-5 जहाज बैलिस्टिक मिसाइलों और उपग्रहों को ट्रैक करने की उच्च क्षमता वाली तकनीक से लैस है।
इसमें एक बड़ा परवलयिक ट्रैकिंग एंटीना और विभिन्न प्रकार के सेंसर लगे हुए हैं। इसके संचालन के लिए 400 से अधिक चालक दल की आवश्यकता होती है।
ऐसे में यदि चीन इस जहाज को श्रीलंका के पास हिंद महासागर में तैनात करता है तो वह इसमें लगी तकनीक के जरिए भारत से जुड़ी कई जानकारी हासिल कर सकता है।
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पूर्व राष्ट्रपति के शासनकाल में दी गई थी पहली अनुमति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश छोड़ने से एक दिन पहले इसी चीनी जहाज को हंबनटोटा आने की अनुमति दी थी, जिसके अनुसार, इसे 11 अगस्त को श्रीलंका पहुंचना था। इसके बाद श्रीलंका में सरकार बदल गई और भारत ने भी उसे अपनी चिंताओं से अवगत करवा दिया था।
5 अगस्त को श्रीलंका ने कहा कि दोनों देशों के बीच अगली सहमति बनने तक इस यात्रा को रद्द कर दिया गया है।
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अब कब श्रीलंका पहुंचेगा चीनी जहाज?
श्रीलंका के हार्बर मास्टर निर्मल पी सिल्वा ने बताया कि उन्हें विदेश मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है और यह जहाज 16 अगस्त से लेकर 22 अगस्त तक हंबनटोटा बंदरगाह पर रहेगा। इसके लिए इंतजाम किए जाने शुरू हो गए हैं।
चिंता
भारत को हैं ये चिंताएं
चीन यदि इस जहाज को हिंद महासागर के कुछ हिस्सों में तैनात करता है तो वह ओडिशा के तट पर व्हीलर द्वीप से भारत के मिसाइल परीक्षणों की निगरानी करने में सक्षम हो सकता है।
इसके जरिए चीन भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों को ट्रैक करके मिसाइलों के प्रदर्शन और उनकी सटीक क्षमता की जानकारी हासिल कर उसका तोड़ निकालने में भी सफल हो सकता है।
यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
चिंताएं
ये थीं अन्य चिंताएं
चीन ने इस जहाज का निर्माण 2007 में किया था। यह 222 मीटर तक फैला है और इसकी चौड़ाई 25.2 मीटर है।
चीन इस जहाज पर मिसाइल टेस्ट भी कर सकता है और 750 किलोमीटर दूरी तक नजर रख सकता है।
ऐसे में चीन चाहे तो कलपक्कम, कूडनकुलम और भारतीय सीमाओं के भीतर परमाणु अनुसंधान केंद्र की जासूसी के साथ केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बंदरगाहों को ट्रैक करते हुए सैन्य प्रतिष्ठानों की महत्वपूर्ण जानकारी जुटा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारत को श्रीलंका में बढ़ते चीन के प्रभाव पर है संदेह
भारत को श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर भी संदेह बना हुआ है। इसका कारण है कि उसे हंबनटोटा बंदरगाह सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बीजिंग को 1.4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है।
ऋण चुकाने में असमर्थ होने के बाद श्रीलंका ने 2017 में मुख्य पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन के साथ स्थित बंदरगाह पर एक चीनी कंपनी को 99 साल का पट्टा दे दिया।
ऐसे में चीन इसका फायदा उठाने की सोच सकता है।