अमेरिकी शीर्ष समिति का दावा- चीनी सरकार ने ही रची थी 'गलवान हिंसा' की साजिश
पूर्वी लद्दाख में गत 15 जून की रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के मामले में अमेरिकी संसद कांग्रेस की एक शीर्ष समिति बुधवार को चौंकाने वाला खुलासा किया है। समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान घाटी हिंसा की साजिश खुद चीन की सरकार ने रची थी। चीनी सरकार ने दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करने और भारतीय सेना को कमजोर साबित करने के लिए यह कदम उठाया था।
चीनी सेना से हुई झड़प में शहीद हुए थे 20 भारतीय सैनिक
पूर्वी लद्दाख में 15-16 जून की रात को चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बहुत से चीनी सैनिकों के मरने की भी खबरें थीं। यह झड़प उस समय शुरू हुई थी जब भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में लगाए गए टैंटों को हटवाने गए थे। इस दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर और कंटीली रॉड से हमला किया था। चट्टान टूटने से कुछ सैनिक नदी में गिर गए थे।
चीन ने सैन्य गतिरोध बढ़ाने के लिए चलाया था अभियान- रिपोर्ट
गलवान घटना के करीब छह महीने बाद अमेरिका की शीर्ष समिति की ओर से प्रस्तुत की गई 'अमेरिका-चाइना आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) रिपोर्ट 2020' में चीन के इस काले सच का खुलासा हुआ है। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि उस दौरान चीनी सरकार ने अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ उच्च स्तरीय अभियान चलाया था। इसका प्रमुख उद्देशय जापान से लेकर चीन तक सैन्य या अर्द्धसैनिक गतिरोध भड़काना था।
गलवान हिंसा की साजिश रचने के मिले हैं सबूत
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चला है कि चीनी सरकार ने गलवान घाटी पर हिंसा के लिए अपनी योजना बनाई थी, जिसमें संभावित रूप से जानलेवा हमले की संभावना भी शामिल थी। रिपोर्ट में अमेरिका ने अपना दावा करते हुए सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में झड़प वाले सप्ताह में चीनी सरकार ने उस क्षेत्र में 1,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया था।
चीनी रक्षा मंत्री ने सैनिकों को हमले के लिए उकसाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी रक्षा मंत्री वेई ने भी झड़प से कई सप्ताह पहले अपने बयान में चीन के सैनिकों को उकसाते हुए स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन सरकार के इस कदम के पीछे का ठीक-ठीक कारण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसके पीछे चीन का प्रमुख उनका उद्देश्य रणनीतिक सड़क तैयार करना था।
चीन के सरकारी अखबार ने भी दी थी चेतावनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत को चेतावनी दी थी। अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि यदि भारत अमेरिका-चीन प्रतिद्वंदिता में शामिल होता है तो उसे व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब दिया जाएगा।
LAC पर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं भारत और चीन
भारत और चीन के बीच मई में तनाव की शरुआत हुई थी। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के हमले में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद हालात ज्यादा बिगड़ गए थे। उसके बाद से दोनों सेनाएं सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सैनिकों की तैतानी में जुटी है। इतना ही नहीं, भारत ने फ्रांस से खरीदे पांच राफेल लड़ाकू विमानों को भी यहीं तैनात किया है। उसको देखते हुए चीन ने यह कदम उठाया है।