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CBI ने रुबैया सईद अपहरण मामले के मास्टरमाइंड को 36 साल बाद दबोचा, जानिए पूरा घटनाक्रम
CBI ने रुबैया सईद अपहरण मामले के मास्टरमाइंड को 36 साल बाद गिरफ्तार किया

CBI ने रुबैया सईद अपहरण मामले के मास्टरमाइंड को 36 साल बाद दबोचा, जानिए पूरा घटनाक्रम

Dec 02, 2025
03:33 pm

क्या है खबर?

केंद्रीय जांच ब्यूरों (CBI) ने देश के पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ रुबैया सईद के अपहरण के 3 दशक पुराने मामले में अहम गिरफ्तारी की है। CBI ने साल 1989 में घटित इस अपराध के मास्टरमाइंड को श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया है। रुबैया पूर्व गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद की तीसरी बेटी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बहन हैं। आइए इस पूरे मामले पर नजर डालते हैं।

बयान

CBI ने गिरफ्तारी को लेकर क्या कहा?

CBI ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, 'पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े 36 साल पुराने मामले में वांछित आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी पहचान श्रीनगर के इश्बर निशात क्वार्टर निवासी शफात अहमद शांगलू के रूप में की गई है।' CBI ने कहा, 'आरोपी को जल्द ही कानून के अनुसार निर्धारित समय के भीतर जम्मू स्थित आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (TADA) कोर्ट में पेश किया जाएगा।'

आरोप

CBI ने शांगलू पर क्या लगाया है आरोप? 

CBI ने शांगलू पर जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रचने का आरोप लगाया है। शांगलू ने TADA की अलग-अलग धाराओं के तहत यासीन और दूसरों के साथ मिलकर इस अपहरण की घटना को अंजाम दिया था। अधिकारियों ने शांगलू की गिरफ्तारी पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। बता दें कि शांगलू JKLF का सदस्य है और कथित तौर पर इसके वित्तीय मामलों की देखरेख करता था।

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घटना

36 साल पहले कैसे हुआ था रुबैया का अपहरण?

CBI के अनुसार, रुबैया 1989 में 23 साल की थीं और एक मेडिकल इंटर्न थीं। 8 दिसंबर, 1989 को JKLF के आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के नौगाम स्थित उनके घर के पास से उनका अपहरण कर लिया था। उस समय रुबैया लाल देद मेमोरियल अस्पताल से बस से लौट रही थीं। घर से कुछ दूरी पर 4 बंदूकधारियों ने बस को रुकवा लिया था। उसके बाद आतंकी रुबैया को एक एक मारुति कार में बैठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए थे।

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मांग

JKLF ने की थी 5 आतंकियों की रिहाई की मांग

अपहरण के कुछ घंटों बाद तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद को एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन पर बेटी के अपहरण की सूचना दी। उन्होंने रुबैया की रिहाई के लिए 5 आतंकियों की रिहाई की मांग रख दी। इसके बाद उसी दिन श्रीनगर के सदर पुलिस थाने में रणबीर दंड संहिता (RPC) की धारा 364, TADA की धारा 3 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25 के तहत अपहरण का मामला दर्ज कर रुबैया की तलाश शुरू कर दी गई।

रिहाई

वीपी सिंह सरकार को दबाव में छोड़ने पड़े थे 5 आतंकवादी

इस घटनाक्रम से दबाव में आई तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने कुछ दिनों तक आतंकियों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन जब उसे लगा कि उसके पास कोई विकल्प नहीं है, तो सरकार ने 13 दिसंबर, 1989 को अपहरणकर्ताओं की मांगे मानते हुए 5 आतंकियों को छोड़ दिया। उसके बाद आतंकियों ने भी रुबैया को रिहा कर दिया। बताया जाता है कि यह पहली बार था जब भारत सरकार ने आतंकियों से इस तरह का समझौता किया था।

जानकारी

फारूख अब्दुल्ला ने किया था आतंकियों की रिहाई का विरोध

केंद्र सरकार के इस फैसले से सभी सहमत नहीं थे। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गृह मंत्री की बेटी की रिहाई के बदले 5 आतंकियों को छोड़ने का विरोध किया था, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।

अपहरण

कंधार विमान अपहरण में शामिल हुए रिहा किए गए आतंकी

रिपोर्ट के अनुसार, छोड़े गए आतंकी साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 का अपहरण कर उसे कंधार ले गए। संयोग से उस समय भी फारूख ही मुख्यमंत्री थे, जब भारत सरकार ने यात्रियों की रिहाई के लिए आतंकी अहमद उमर सईद शेख, मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जरगर को तालिबान को सौंप दिया था। अपहृत यात्रियों के परिजनों ने भी रुबैया अपहरण मामले का हवाला देकर सरकार पर आतंकियों को छोड़ने का दबाव बनाया था।

स्थिति

वर्तमान में क्या है इस मामले की स्थिति?

यह मामला अभी TADA अदालत में चल रहा है। इस मामले में आरोप घटना के दशकों बाद 2019 में तय किए गए थे। जनवरी 1999 में TADA अदालत ने इस मामले में गिरफ्तार शौकत अहमद बख्शी, मंजूर अहमद सोफी और मोहम्मद इकबाल गुंडरू को जमानत पर रिहा कर दिया था क्योंकि वह एक दशक से बिना मुकदमे के जेल में बंद थे। उस समय तक मलिक को भी जमानत मिल चुकी थी। हालांकि, CBI ने इसका विरोध किया था।

सजा

मलिक को मई 2023 में सुनाई गई सजा

मलिक के खिलाफ TADA की कार्रवाई पर रोक लगाने के बाद CBI ने फैसले को चुनौती दी तो उसे दोबारा जांच की छूट मिल गई। TADA अदालत ने 2021 में मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। इसके बाद मई 2023 में विशेष NIA अदालत ने आतंकवाद-वित्तपोषण मामले में मलिक को मई 2023 में उम्रकैद की सजा सुना दी। रुबैया ने मलिक को अपहरणकर्ता के रूप में भी पहचाना है। इस मामले में अब जल्द सुनवाई होगी।

जानकारी

सरकारी गवाह बनी रुबैया

वर्तमान में तमिलनाडु में रह रहीं रुबैया को CBI ने सरकारी गवाह बनाया है। जांच एजेंसी ने 1990 में यह केस अपने हाथ में लिया था। रुबैया ने मलिक के अलावा 4 और आरोपियों की पहचान की थी, जिसमें शांगलू का नाम भी शामिल है।

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