डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक को मिली केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी, जानें इससे जुड़ी खास बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल गई। सरकार इसे अगले हफ्ते शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश कर सकती है। बता दें कि सरकार ने नवंबर, 2022 में इसका मसौदा पेश किया था। अगर ये विधेयक कानून बनता है तो डिजिटल डाटा की निजता से लेकर टेक कंपनियों से जुड़े कई बदलाव होंगे।
विधेयक में कंपनियों पर 500 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान
विधेयक में डाटा और डिजिटल निजता को लेकर कंपनियों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। विधेयक के मुताबिक, नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कोई सोशल मीडिया यूजर अपना अकाउंट डिलीट करता है तो कंपनियों को भी उसका डाटा हटाना होगा। यूजर को अपने निजी डाटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार मिलेगा। कंपनी हमेशा के लिए डाटा नहीं रख सकती।
विधेयक में बच्चों को लेकर भी कई प्रावधान
विधेयक में बच्चों के डिजिटल डाटा और निजता को लेकर भी खास प्रावधान किए गए हैं और 'नियमों का एक समूह' बनाया गया है। कंपनियां बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी डाटा को संरक्षित नहीं कर सकेंगी। कंपनी अगर बच्चों से जुड़ा डाटा एकत्र कर रही है तो इसके लिए उसे माता-पिता से अनुमति लेना जरूरी होगा। कंपनियां बच्चों के डाटा का इस्तेमाल उन्हें लक्षित विज्ञापन दिखाने में नहीं कर सकेंगी।
सरकार बनाएगी डाटा सुरक्षा बोर्ड
विधेयक के मुताबिक, सरकार कानून पालन कराने के लिए भारतीय डाटा सुरक्षा बोर्ड बनाएगी। इसका काम उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने और उन्हें हल करने का भी होगा। विधेयक में बायोमेट्रिक डाटा के मालिक को उसके डाटा का पूरा अधिकार मिलेगा। अगर किसी कंपनी को अपने कर्मचारी की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक डाटा की जरूरत है तो भी उसे कर्मचारी की अनुमति लेनी होगी। यूजर डाटा से जुड़ी सहमति कभी भी वापस ले सकेंगे।
पहले भी सरकार ने पेश किया था विधेयक
केंद्र सरकार इससे पहले भी डाटा सुरक्षा से जुड़ा विधेयक लेकर आई थी, जिसे जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया था। दिसंबर, 2019 में इसे संसद में पेश किया गया था और दिसंबर, 2021 में संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। विपक्ष की आपत्तियों और समिति के सुझावों के बाद इसे वापस ले लिया गया था। बाद में संशोधनों के साथ नया विधेयक लाया गया।