मां-बाप के जिंदा रहने तक बेटे नहीं कर सकते उनकी संपत्ति पर दावा- बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति से कहा कि जब तक उसके मां-बाप जिंदा है, वह उनकी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस गौतम पटेल और माधव जामदार की बेंच ने कहा, "आपके पिता जिंदा हैं। आपकी मां जिंदा हैं। आपका उनकी संपत्ति पर कोई हक नहीं है। वो चाहें तो इसे बेच सकते हैं। इसके लिए उनको आपकी इजाजत की जरूरत नहीं है।"
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता ने अपनी दो शादीशुदा बहनों और मां के साथ याचिका दायर की थी। इसमें उसने मांग कि उसकी मां को पिता का विधिक सरंक्षक नियुक्त किया। उसने बताया कि उसके पिता डिमेंशिया से ग्रसित है और बीमारी के कारण उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। लगातार लेटे रहने की वजह से उनकी पीठ पर घाव हो गए हैं। उनकी आंखों की पुतलियां स्थिर नहीं रहती और वो पढ़, लिख, बोल या समझ नहीं पा रहे हैं।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से जताई नाराजगी
याचिकाकर्ता अपने माता-पिता से अलग रहता है, लेकिन उसने खुद को पिता का वास्तविक अभिभावक बताया है। उसने कहा कि वह कई सालों से अपने पिता की देखभाल कर रहा है। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क पर नाराजगी जताई कि बेटा विधिक संरक्षक बनना चाहता है, लेकिन वह अपने पिता को कभी अस्पताल लेकर नहीं गया और न ही उसने कभी अस्पताल के बिल भरे। कोर्ट ने इस संबंध में याचिकाकर्ता से कई सवाल किए।
16 मार्च को आया था फैसला
16 मार्च को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की मां ने पिता के सारे मेडिकल बिल चुकाए हैं। बेटे की तरफ से एक भी ऐसा दस्तावेज नहीं पेश किया गया है, जिससे पता चला कि वह अपने पिता की परवाह करता है।
"सिर्फ बेटा-बेटी होने से संपत्ति पर अधिकार नहीं"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि माता-पिता के नाम पर एक-एक फ्लैट है और उसमें उसकी शेयर होल्डिंग भी है। इस तरह फ्लैट पर उसका अधिकार बनता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक माता-पिता जिंदा है, तब तक उनकी संपत्ति पर बेटे का कोई अधिकार नहीं है। सिर्फ बेटा या बेटी होने से आपका मकान पर अधिकार नहीं बनता। आपने एक भी ऐसा दस्तावेज नहीं दिया, जिससे पता चले कि आप पिता की परवाह करते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
जानकारी के लिए बता दें कि माता-पिता को अपनी अर्जित संपत्ति से अपनी संतान को बेदखल करने का अधिकार है। अगर अभिभावकों ने अपनी संपत्ति बनाई है या वे किसी मकान के मालिक हैं तो अपनी संतान को घर से निकाल सकते हैं। इसके लिए उन्हें जिला मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन दाखिल करना होता है। यदि बेटा अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता है तो वे उसे दी गई संपत्ति भी वापस ले सकते हैं।