टाटा समूह की बड़ी जीत, सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया सायरस मिस्त्री को हटाने का फैसला
क्या है खबर?
टाटा समूह बनाम सायरस मिस्त्री के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने मिस्त्री को चेयमैन के पद से हटाने के टाटा समूह के फैसले को सही ठहराया है और उनकी बहाली के कंपनी कानून न्यायाधिकरण के फैसले को निरस्त कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि मामले से जुड़े सभी कानून टाटा समूह के पक्ष में हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
सायरस मिस्त्री को रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद 2012 में टाटा समूह का चेयरमैन नियु्क्त किया गया था, लेकिन इसके चार साल बाद अक्टूबर, 2016 में बोर्ड की एक बैठक में उन्हें अचानक इस पद से हटा दिया गया।
मिस्त्री ने इस फैसले को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में चुनौती दी जिसने 18 दिसंबर, 2019 को चेयरमैन के पद पर उनकी बहाली का आदेश सुनाया।
टाटा समूह ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दलीलें
टाटा समूह ने कोर्ट में कहा- बोर्ड को मिस्त्री को हटाने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान टाटा समूह ने कहा कि बोर्ड के पास मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाने का अधिकार था और सब कुछ वैध तरीके से किया गया।
वहीं मिस्त्री के पक्ष ने कहा कि उन्हें पद से हटाने का फैसला "खूनी खेल" और "घात" की तरह था और कंपनी एक्ट का उल्लंघन कर उनकी बर्खास्तगी की गई थी।
अंत में आज सुप्रीम कोर्ट ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया।
कारण
क्यों पद से हटाए गए थे मिस्त्री?
एक समय रतन टाटा के उत्तराधिकारी माने जाने वाले सायरस मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाने का कारण बताते हुए टाटा समूह ने कहा था कि उनके कामकाज करने का तरीका टाटा समूह के काम करने के परंपरागत तरीके से मेल नहीं खा रहा था।
दरअसल, मिस्त्री घाटे में चल रहीं विदेशी कंपनियों में समूह की हिस्सेदारी बेच रहे थे। इन कंपनियों में रतन टाटा ने निवेश किया था। इसी को उनकी बर्खास्तगी का बड़ा कारण माना जाता है।
हिस्सेदारी
मिस्त्री के पिता की कंपनी की टाटा समूह में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी
बता दें कि सायरस मिस्त्री शपूरजी पलोनजी समूह के संस्थापक और चेयरमैन पलोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे हैं। शपूरजी पलोनजी समूह की टाटा समूह में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह टाटा में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखनी वाली गैर-टाटा कंपनी है।
वहीं टाटा परिवार के दो ट्रस्ट की टाटा समूह में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। रतन टाटा इन दोनों ट्रस्ट के चेयरमैन हैं और इसी कारण किसी को भी टाटा समूह के चेयरमैन के पद से हटा सकते हैं।
जानकारी
शपूरजी पलोनजी समूह की हिस्सेदारी पर फंसा है पेच
मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाने के बाद टाटा समूह में शपूरजी पलोनजी समूह की हिस्सेदारी का क्या होगा, इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट ने टाटा समूह और मिस्त्री पर छोड़ दिया है। टाटा समूह इस हिस्सेदारी को खरीदने की पेशकश कर चुका है।