डोकलाम विवाद पर सुर्खियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले भूटान नरेश
क्या है खबर?
भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने को लेकर चर्चा हुई।
नेपाल नरेश ऐसे समय पर भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं जब डोकलाम विवाद पर भूटान के प्रधानमंत्री के एक बयान ने भारत सरकार की चिंता बढ़ाई हुई है।
बयान
क्या था मामला?
जर्मनी दौरे पर भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि डोकलाम विवाद का समाधान खोजने में चीन का भी समान अधिकार है और भारत, भूटान और चीन इस मुद्दे को साथ बैठकर हल कर सकते हैं।
इस बयान को भूटान और चीन की बढ़ती नजदीकियों से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, भूटान ने कहा है कि सीमा विवाद को लेकर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
मुलाकात
नेपाल नरेश शाम को राष्ट्रपति मुर्मू से करेंगे मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल नरेश के बीच हुई बातचीत द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के तरीकों पर केंद्रित रही।
इस मुलाकात से पहले भूटान के राजा ने राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। वह आज शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे।
भूटानी प्रधानमंत्री के डोकलाम विवाद पर दिये गए बयान के बीच भूटान नरेश के भारत दौरे की काफी अहमियत है।
मुद्दा
क्या है डोकलाम का मुद्दा?
डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाका है, जिस पर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा जताते हैं। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है।
जून, 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सेना ने उसे रोक दिया था। 72 दिनों के गतिरोध के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे थे।
भारत की दलील है कि चीन जिस सड़क का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं।
अहमियत
भारत के लिए क्यों अहम है डोकलाम?
चीन 'वन बेल्ट, वन रोड' (OBOR) परियोजना के तहत डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण करना चाहता है, लेकिन डोकलाम पर चीन का कब्जा सुरक्षा और रणनीतिक नजरिये से भारत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
अगर चीन डोकलाम पर कब्जा कर लेता है तो चीनी सेना इसका इस्तेमाल भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए कर सकते हैं। सिलगुड़ी कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता है और उनके बीच एकमात्र लिंक है।
चीन
क्या चाहता है चीन?
डोकलाम में बटांग ला नामक एक ट्राई-जंक्शन प्वाइंट है, जिसके उत्तर में चीन, दक्षिण और पूर्व में भूटान और पश्चिम में भारत है। चीन की कोशिश रहती है कि वह ट्राई-जंक्शन को बटांग ला से लगभग 7 किलोमीटर दक्षिण में भूटान की तरफ माउंट जिपमोची नाम की चोटी पर शिफ्ट कर दे।
ऐसा होने पर पूरा डोकलाम कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा और वह भारत के सिलगुड़ी कॉरिडोर पर सीधे हमले की स्थिति में पहुंच जाएगा।