रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग, महाराष्ट्र कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव
क्या है खबर?
दिग्गज कारोबारी और टाटा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। इसके बाद उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
महाराष्ट्र सरकार ने रतन टाटा को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का आग्रह करने वाला प्रस्ताव पारित किया है। राज्य सरकार अब इस प्रस्ताव को विचार के लिए केंद्र सरकार को भेजेगी, जो अंतिम फैसला लेगी।
प्रस्ताव
महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में क्या-क्या हुआ?
महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक शुरू होने के बाद रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बैठक में इस संबंध में शोक प्रस्ताव भी पेश किया।
इसके बाद एक प्रस्ताव में केंद्र से रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध किया गया।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने रतन टाटा के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
शिवसेना नेता
शिवसेना नेता ने भी की मांग
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल कनाल ने मुख्यमंत्री शिंदे को पत्र लिख भारत रत्न के लिए रतन टाटा का नाम प्रस्तावित करने का आग्रह किया।
कनाल ने लिखा, "रतन टाटा का जीवन दयालु भाव, ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा के मूल्यों से भरा हुआ है, जो उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति बनाते हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं जो समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए सदैव तत्पर रहे हैं।"
मांग
पहले भी उठती रही है मांग
2021 और 2022 में रतन टाटा को भारत रत्न दिए जाने की मांग खूठ उठी थी।
तब रतन टाटा ने लिखा था, 'मैं सोशल मीडिया के एक वर्ग द्वारा पुरस्कार के संदर्भ में व्यक्त की गई भावनाओं की सराहना करता हूं, लेकिन मैं विनम्रतापूर्वक अनुरोध करना चाहूंगा कि ऐसे अभियान बंद कर दिए जाएं।'
रतन टाटा को भारत रत्न की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई थी।
सम्मान
पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं रतन टाटा
रतन टाटा को साल 2000 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। साल 2008 में उन्हें दूसरा सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
महाराष्ट्र सरकार ने 2023 में रतन टाटा को 'उद्योग रत्न' से सम्मानित किया था।
इसके अलावा उन्हें कैंब्रिज और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स समेत कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि और कई देशों की सरकार द्वारा अलग-अलग सम्मान दिए गए थे।