
बेंगलुरु भगदड़ मामले में पुलिस आयुक्त का निलंबन: क्या है IPS अधिकारी के निलंबन की प्रक्रिया?
क्या है खबर?
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की खिताबी जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के मामले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है।
सरकार ने गुरुवार रात को बेंगलुरु पुलिस आयुक्त बी दयानंद सहित 6 पुलिस अधिकारियों को घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया।
इसको लेकर अब बवाल मच गया। ऐसे में आइए IPS अधिकारी के निलंबन की पूरी प्रक्रिया जानते हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
RCB के 3 जून को IPL 2025 का खिताब जीतने के बाद 4 जून को बेंगलुरु में विजय जुलूस निकालने का फैसला किया था।
टीम को खुली बस में राज्य विधानसभा से चिन्नास्वामी स्टेडियम जाना था, जहां 3 लाख लोग इकट्ठा थे। वो अंदर जाने को लेकर धक्का-मुक्की करने लगे।
इससे भगदड़ मची और 11 लोगों की दबकर मौत हो गई, जबकि 47 घायल हुए। पुलिस ने RCB, KSCA और अन्य पर FIR दर्ज कर जांच CID को सौंप दी।
कार्रवाई
सरकार ने पुलिस आयुक्त सहित 6 अधिकारियों को निलंबित किया
राज्य की कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट की बैठक में घटना के लिए पुलिस चूक को जिम्मेदार माना है।
इसके लिए उसने पुलिस आयुक्त दयानंद, कब्बन पुलिस थानाप्रभारी एके गिरीश, सहायक पुलिस आयुक्त (ADCP) सी बालाकृष्णा, केंद्रीय संभाग पुलिस उपायुक्त (DCP) शेखर एच टेक्कन्नावर, स्टेडियम के प्रभारी ACP विकास कुमार समेत 6 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
सरकार के इस कदम से पुलिस और आम जनता में रोष भर गया है। सोशल मीडिया पर कार्रवाई की आलोचना हो रही है।
जानकारी
सीमांत कुमार सिंह को बनाया नया पुलिस आयुक्त
कार्रवाई के बाद कर्नाटक सरकार ने वरिष्ठ IPS अधिकारी और बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन टास्क फोर्स के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) सीमांत कुमार सिंह को अगले आदेश तक बेंगलुरु पुलिस आयुक्त नियुक्त किया है। इसके बाद उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है।
विरोध
भाजपा और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने की कार्रवाई की निंदा
राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों ने सरकार की कार्रवाई का विरोध किया है।
इसी तरह पूर्व पुलिस अधिकारी ज्योति प्रकाश मिर्जी, भास्कर राव और एनएस मेघारिक ने खुले तौर पर सरकार की कार्रवाई की निंदा की है और कहा है कि पुलिस को 'बलि का बकरा' बनाया जा रहा है।
राव ने तो यहां तक कहा कि कर्नाटक सरकार ने घबराकर यह कार्रवाई की है। यह कर्नाटक के इतिहास में पुलिस के लिए काला दिन है।
जानकारी
कार्रवाई के विरोध में पुलिसकर्मियों ने बांधी काली पट्टी
सरकार की पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई के विरोध में शनिावर को सभी पुलिसकर्मी बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम करने आए। उनका कहना है कि आयुक्त ने विजय जुलूस को रविवार को रखने का सुझाव दिया था।
प्रावधान
IPS अधिकारी को निलंबित करने का क्या है प्रावधान?
केंद्रीय गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 'द पुलिस एक्ट, 1861' के अनुसार, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी को उसकी तैनाती वाले राज्य की सरकार निलंबित या पदावनत (डिमोशन) कर सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार के पास उसके कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही बरतने या अयोग्य होने के पर्याप्त सबूत होने चाहिए।
इसके बाद संबंधित राज्य सरकार को 15 दिनों के अंदर कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजनी होती है।
प्रभावी
IPS अधिकारी का निलंबन कितने दिन प्रभावी रहता है?
निलंबन की अवधि 30 दिनों के लिए वैध होती है, जिसे आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है।
केंद्र सरकार की मंजूरी से इसे 120 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार निलंबन को मंजूरी नहीं देती है तो संबंधित IPS अधिकारी को 30 दिन बाद बहाल कर दिया जाता है।
इसी तरह, केंद्रीय/राज्य समीक्षा समिति की सिफारिश पर निलंबन को 180 दिन से अधिकतम 1 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
बर्खास्त
IPS अधिकारी को कौन कर सकता है सेवा से बर्खास्त?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के अनुसार, IPS अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है।
अगर किसी IPS अधिकारी को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है तो उसकी रैंक कम की जा सकती है या फिर सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है।
इसके बाद अधिकारी केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण (CAT) में जा सकते हैं। वहां उसे प्रर्याप्त सुनवाई का मौका दिया जाता है और उसके बाद अंतिम कार्रवाई होती है।
विकल्प
बेंगलुरु पुलिस आयुक्त के पास क्या हैं विकल्प?
कर्नाटक भाजपा और कर्नाटक IPS एसोसिएशन के सरकार की कार्रवाई के विरोध करने को देखते हुए निलंबन के ज्यादा दिन लागू न रहने की उम्मीद है।
भाजपा केंद्र से निलंबन को को मंजूरी न देने की अपील कर सकती है।
इसी तरह IPS एसोसिएशन के कई पूर्व सेवानिवृत्त अधिकारियों ने भाजपा नेताओं से अपील की है कि वे केंद्र से इस निलंबन को मंजूरी न देने की मांग करें। इससे पुलिस आयुक्त दयानंद को जल्द बहाल किया जा सकता है।