अयोध्या: राम मंदिर पर क्यों फहराया गया है भगवा ध्वज और क्या है इसकी खासियत?
क्या है खबर?
अयोध्या स्थित राम मंदिर मंगलवार को एक बार फिर से ऐतिहासिक कार्य का गवाह बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के गर्भगृह के ऊपर भगवा धर्मध्वज फहरा दिया है। यह विशाल ध्वज मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने का संकेत है। इस भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए। आइए इस ध्वज की प्रमुख खासियतों के बारे में जानते हैं।
महत्व
क्या है मंदिर पर ध्वज फहराने का आध्यात्मिक महत्व?
सनातन परंपराओं के अनुसार, मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराना सनातन धर्म के पवित्र कार्यों में से एक है। ध्वज के बिना मंदिर अधूरा माना जाता है, क्योंकि ध्वज देवता की उपस्थिति, सुरक्षा और सक्रिय दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। शास्त्रों में मंदिर के ध्वज के फहराने को इस बात का संकेत बताया गया है कि आध्यात्मिक तरंगें जीवंत हैं और आसपास के वातावरण में आशीर्वाद प्रवाहित हो रहा है। भक्तों के लिए, यह समारोह अत्यंत शुभ माना जाता है।
बनावट
कैसी है ध्वज की बनावट?
भगवा ध्वज पारंपरिक समकोण त्रिभुजाकार में तैयार किया गया है। इसकी संरचना के आधार पर, इसका आकार 20 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा है। इसका वजन 2 से 3 किलोग्राम के बीच है। यह ध्वज मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर स्थापित 42 फीट के स्तंभ (मस्तूल) के ऊपर फहराया जाएगा। ऐसे में यह श्रद्धालुओं को लगभग 4 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देगा। यह ध्वज सरयू तट और राम पथ पर एक स्थायी दृश्य चिह्न होगा।
प्रतीक
ध्वज में बनाए गए ये 3 अहम प्रतीक
इस ध्वज पर दीप्तिमान सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष की तस्वीर भी बनाई गई है। परंपरा के अनुसार, कोविदारा वृक्ष ऋषि कश्यप द्वारा निर्मित मंदार और पारिजात वृक्षों का एक संकर वृक्ष है, जो पादप संकरण की प्राचीन प्रथाओं को दर्शाता है। इसी तरह दीप्तिमान सूर्य भगवान राम के सूर्यवंशी वंश का प्रतीक है, जबकि ॐ की आकृति शाश्वत ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है। यह ध्वज पूरी तरह से देश में सनातन धर्म का प्रतीक है।
खासियत
ध्वज पर किसी भी मौसम का नहीं पड़ेगा असर
इस ध्वज को खास तरीके से तैयार किया गया है। इस पर किसी मौसम की मार नहीं पड़ सकती है। हर मौसम में झंडा वैसे ही मजबूती से लहराता रहेगा। मंदिर के इस ध्वज को हाथों से तैयार किया गया है और इसमें एविएशन-ग्रेड पैराशूट नायलॉन और रेशम मौजूद है। यानी तेज धूप पड़े या फिर तेज बारिश हो, ये झंडा हर तरह के मौसम को आसानी से झेल सकता है। इसमें कुल 3 लेयर का इस्तेमाल किया गया है।
आयु
3 वर्ष है ध्वज की आयु
इस ध्वज की अनुमानित आयु 3 वर्ष है। परीक्षण के दौरान झंडे के आकार और हवा के दबाव के कारण मूल रस्सी टूट गई थी। उसके बाद कानपुर से मंगवाई गई एक नई रस्सी में अब स्टेनलेस स्टील का कोर लगाया गया है, जिस पर सिंथेटिक नायलॉन फाइबर लपेटा गया है ताकि इसकी मजबूती और लचीलापन सुनिश्चित हो सके। इतने बड़े झंडे को इतनी ऊंचाई पर फहराने के लिए सेना और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों की मदद ली गई है।
क्षमता
200 किलोमीटर/घंटा की हवा का सामना कर सकता है ध्वज
इंजीनियरों का कहना है कि पैराशूट-ग्रेड कपड़ा 200 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार वाली तेज हवा का सामना कर सकता है। इसके मजबूत पैनल हवा के दबाव को समान रूप से वितरित करते हैं, जिससे यह फटता नहीं है। UV सुरक्षा केसरिया रंग को फीका पड़ने से बचाती है, जबकि जल और आर्द्रता-रोधी परतें ध्वज को अयोध्या की मानसूनी बारिश और सर्दियों के कोहरे, दोनों में टिकने में मदद करती हैं। तनाव-बिंदु सिलाई फटने के जोखिम को कम करते हैं।
अन्य
360 डिग्री घूमने वाली प्रणाली ध्वज की सुचारू गति सुनिश्चित करेगी
ध्वज एक बॉल-बेयरिंग घूर्णन प्रणाली पर लगा है जो इसे हवा के साथ स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देता है, जिससे यह उलझता या फटता नहीं है। यह तंत्र वैमानिकी विंडसॉक्स जैसा है, जो स्थिर घूर्णन को सक्षम बनाता है और कपड़े पर तनाव को कम करता है। 42 फुट लंबे स्तंभ में एक मोटर चालित प्रणाली है। इससे ध्वज को बिना किसी की मदद से फहराया और उतारा जा सकता है। ऐसे में इसे बदलना भी आसान होगा।