
अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन, लखनऊ PGI में थे भर्ती
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (85) का बुधवार को लखनऊ में निधन हो गया। उनका संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में इलाज चल रहा था।
अस्पताल प्रशासन की ओर से दास के निधन की पुष्टि की गई है। उनको 3 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्ट्रोक के बाद उनको न्यूरोलॉजी वार्ड में शिफ्ट किया गया।
उनकी मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
अंतिम दर्शन
अंतिम दर्शन के लिए अयोध्या लाया जाएगा पार्थिव शरीर
आचार्य सत्येंद्र के पार्थिव शरीर को लखनऊ से अयोध्या लाया जाएगा। जहां उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अंतिम संस्कार गुरुवार को सरयू नदी के तट पर होगा।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। उन्होंने आचार्य के निधन को आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताई है।
बता दें कि आचार्य सत्येंद्र 32 साल से रामजन्मभूमि में मुख्य पुजारी के तौर पर तैनात थे।
निधन
कौन हैं सत्येंद्र दास?
आचार्य सत्येंद्र आयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी थे। इनके नेतृत्व में राम मंदिर की आधारशिला और प्राण प्रतिष्ठा हुई थी।
संतकबीर नगर निवासी आचार्य 50 के दशक में अयोध्या आए और अभिरामदास के शिष्य बन गए। अभिरामदास ने ही 1949 में रामलला मूर्तियां प्रकट होने का दावा किया था।
आचार्य सत्येंद्र ने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री ली और संस्कृत के शिक्षक बने।
आचार्य सत्येंद्र, रामविलास वेदांती, हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास तीनों गुरुभाई हैं।
किस्सा
बाबरी विध्वंस के समय हटाई थी मूर्तियां
आचार्य सत्येंद्र ने 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस के समय रामलला की मूर्तियों को गोद में उठाकर दूसरे स्थान पर पहुंचाया था।
दरअसल, जब कारसेवकों ने बाबरी के 2 गुंबद गिरा दिए थे, तब आचार्य सत्येंद्र बीच वाले बड़े गुंबद के नीचे रामलला के पास खड़े थे।
जब गुंबद में सुराख हुआ और मिट्टी गिरने लगी तो वे रामलला की मूर्तियों को लेकर निकल गए। बाद में टेंट बनाकर रामलला को वहां स्थापित किया गया।
मंदिर
राम मंदिर से कैसे जुड़े थे आचार्य?
वर्ष 1992 में रिसीवर की जिम्मेदारी के तहत आने वाले रामलला के पुजारी लालदास थे। रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर्ड जज जेपी सिंह के पास थी।
उनके निधन के बाद जिला प्रशासन को जिम्मा दिया गया, तो लालदास को हटाने की बात आई। तब भाजपा सांसद विजय कटियार और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कई नेताओं के संपर्क में आचार्य सत्येंद्र थे।
इससे 1 मार्च, 1992 को उनकी नियुक्ति हो गई। उनको अपने साथ 4 पुजारी रखने का भी अधिकार था।