
क्या आंध्र प्रदेश के रायलसीमा में हो रही हीरे की बारिश? जानिए सच्चाई
क्या है खबर?
आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में मानसून की बारिश लोगों को काफी उत्साहित कर रही है, क्योंकि मौसम ने इसे हीरे की खोज में बदल दिया है। दरअसल, आंध्र प्रदेश के कुरनूल और अनंतपुर जिलों में किसान इस मौसम में न केवल खरीफ की खेती करते हैं, बल्कि हीरे समेत कीमती पत्थरों की तलाश में भी जुट जाते हैं। इस क्षेत्र में लोग बारिश के दौरान हीरों के लिए काली मिट्टी खोदते हैं और उसे धोने में घंटों बिताते हैं।
बारिश
क्या कभी मिला है किसी किसान को हीरा?
यहां के जोनागिरी, तुग्गली और पेरावली मंडल ऐतिहासिक रूप से हीरे की खोज से जुड़े हैं। यहां स्थानीय लोग, व्यापारी और बाहरी लोग पत्थर तलाशते हैं। तेलंगाना के महबूबनगर जिले के एक उद्यमी भरत पालोद ने बताया कि उन्हें 2018 में पहला हीरा मिला था, जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई। सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका दुसाकांति, पेरावली के कृषि मजदूर वेंकटेश्वर रेड्डी, कुरनूल के मद्दीकेरा के किसान श्रीनिवासुलु, तुग्गली के लोअर चिंतलकोंडा के किसान प्रसन्ना भी हीरा बेंच चुके हैं।
विरोध
नहीं होता इस कार्य का विरोध
CNBC न्यूज के मुताबिक, अनंतपुर के जमींदार पी. बजरंगलाल बताते हैं कि उनके 40 एकड़ जमीन पर ग्रामीण खुदाई करते हैं तो कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि उनका परिवार यहां हीरा खोजने वालों को भोजन और पानी भी उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा, "अगर ये हीरे दूसरों के जीवन में खुशियां लाते हैं, तो मैं इसका पूरा समर्थन करता हूं। यह एक असंगठित लेकिन स्थायी मानसून परंपरा बनी हुई है।
पौराणिक कथा
क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा?
लोककथाओं में इससे जुड़ी सदियों पुरानी खोजों का उल्लेख है, जब रायलसीमा के हीरे विजयनगर के राजाओं के खजाने में पहुंच गए थे। कुरनूल के पुलिस महानिरीक्षक कोया प्रवीण कहते हैं कि रायलसीमा में हीरों की किंवदंतियां लंबे समय से पहचान रही हैं, इसके बावजूद यहां कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया है और स्थानीय लोग इसे "हीरे की खेती" कहते हैं। हालांकि, स्थानीय लोग बाहरी लोगों का खेतों में प्रवेश का विरोध करते हैं।