दिल्ली की अदालत से ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को मिली जमानत
क्या है खबर?
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को जमानत दे दी है। जुबैर को 2018 में किए गए एक ट्वीट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगा था।
पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने 50,000 रुपये के मुचलके पर उन्हें जमानत दी है। साथ ही उन्हें अदालत की मर्जी के बिना देश न छोड़ने का आदेश दिया गया है।
जानकारी
अभी नहीं होगी जेल से रिहाई
जमानत मिलने के बाद भी जुबैर अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। दरअसल, उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई अन्य मामले भी दर्ज हैं। इन्हें रद्द करवाने के लिए जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पृष्ठभूमि
27 जून को हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने 27 जून को मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया था।
अपने इस ट्वीट में तीन दशक पहले की एक फिल्म से एक होटल के साइनबोर्ड की तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा था, '2014 से पहले: हनीमून होटल और 2014 के बाद: हनुमान होटल।'
हनुमान भक्त नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने ट्वीट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस हैंडल की पहचान को लेकर काफी विवाद रहा था।
सुनवाई
पुलिस ने किया जमानत का विरोध
दिल्ली पुलिस ने अदालत में जुबैर की जमानत का विरोध किया था। पुलिस की तरफ से कहा गया कि जुबैर का ट्वीट गलत नीयत के साथ किया गया था और इसका मकसद लोगों को भड़काना था।
इस दौरान पुलिस ने विदेशी फंडिंग का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि जुबैर को विदेशों से पैसा मिला है और आज तक उन्होंने यह जानकारी नहीं दी है कि वह पैसा किसने ट्रांसफर किया था।
सुनवाई
जुबैर ने किया आरोपों का खंडन
सुनवाई के दौरान जुबैर ने दिल्ली पुलिस के दावों का खंडन किया। उनके वकील ने कहा कि अज्ञात ट्वीटर अकाउंट ने जुबैर के ट्वीट को ढूंढा। अभी तक उस अकाउंट को चलाने वाले व्यक्ति की पहचान होना बाकी है।
वकीलों ने कहा कि जुबैर ने विदेशों से कोई पैसा नहीं लिया गया है। उनके खिलाफ विदेशी फंडिंग का मामला बाद में इसलिए जोड़ा गया क्योंकि पहले मामले में लगाई गई धाराएं मजबूत नहीं थीं।
जानकारी
UP में दर्ज मामलों की जांच करेगी SIT
जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में छह मामले दर्ज हैं और इनकी जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।
लखीमपुर, सीतापुर, हाथरस और मुजफ्फरनगर में मामले दर्ज हैं। सीतापुर में उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में FIR दर्ज की गई है। वहीं लखीमपुर में सुदर्शन चैनल के एक कर्मचारी ने उनके खिलाफ एक ट्वीट को लेकर मामला दर्ज करवाया था।
सीतापुर मामले में उन्हें फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हुई है।