भारत में अल-कायदा 'व्हाइट कॉलर मॉड्यूल' पर कर रहा काम, नई कार्यप्रणाली सामने आई
क्या है खबर?
अल-कायदा की भारत में कार्यप्रणाली को लेकर अहम जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अल-कायदा का भारतीय नेटवर्क तेजी से डिजिटल माध्यम से कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। ये समूह अब तात्कालिक हिंसक कार्रवाई की बजाय वैचारिक प्रभाव को प्राथमिकता दे रहा है। बताया जा रहा है कि स्मार्टफोन की व्यापक पहुंच, ज्यादा युवा आबादी और ऑनलाइन चर्चा की खुली स्वतंत्रता का लाभ ये आतंकी संगठन अपने फायदे के लिए उठा रहा है।
रिपोर्ट
पुणे ATS द्वारा गिरफ्तार आरोपी के डिजिटल फुटप्रिंट से हुआ खुलासा
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में पुणे की ATS ने 35 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर को अल-कायदा और उसकी दक्षिण एशियाई शाखा अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया था। जांचकर्ताओं का कहना है कि जुबैर के डिजिटल फुटप्रिंट जैसे एन्क्रिप्टेड संचार, प्रचार सामग्री और कई गुप्त सोशल मीडिया समूहों में उसका व्यवहार गहरे वैचारिक कट्टरपंथ का संकेत दे रहे हैं।
कार्यप्रणाली
कैसे अल-कायदा ने बदला काम करने का तरीका?
सूत्रों ने बताया कि अल-कायदा गुप्त ऑनलाइन इकोसिस्टम, वैचारिक बदलाव और डिजिटल परिदृश्य का लाभ उठा रहा है। संचार के लिए समूह गुप्त ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, बहुस्तरीय चैनलों और विदेशी सर्वर का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, भर्ती प्रक्रिया भी हथियारों के प्रशिक्षण के बजाय अब उपदेश और निजी सत्र जैसे वैचारिक मुद्दों पर केंद्रित हो गई है। समूह मोबाइल इंटरनेट की पहुंच और युवा आबादी का भी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
व्हाइट कॉलर
'व्हाइट कॉलर' माड्यूल को बढ़ावा दे रहा समूह
रिपोर्ट में शीर्ष खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जुबैर के अलावा हाल ही में हुई अन्य गिरफ्तारियों में एक चिंताजनक पैटर्न सामने आया है। आतंकी समूह ऐसे सफेदपोश और डिजिटल रूप से कट्टरपंथी लोगों की भर्ती कर रहे हैं, जो शिक्षित, सम्मानित और आपराधिक रिकॉर्ड रहित हैं। ऐसे लोगों पर संदेह नहीं होता, ये आसानी से गोपनीय संचार का इस्तेमाल कर सकते हैं और वैचारिक सामग्री प्रसारित करने में अधिक प्रभावी हैं।
समूह
भारत के लिए बनाई दीर्घकालिक योजना- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा भारत को एक दीर्घकालिक वैचारिक मंच के तौर पर देख रहा है। वो भारत में सहानुभूति रखने वालों को अपनी ओर आकर्षित करने और धीरे-धीरे अलग-थलग ऑनलाइन समुदाय बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि अल-कायदा ऐसे वैचारिक नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है, जो चुपचाप पनपते हैं और रणनीतिक रूप से सक्रिय होने पर ही सामने आते हैं।