रूस-यूक्रेन में कूटनीतिक संतुलन साधने में जुटा भारत, पुतिन के बाद जेलेंस्की कर सकते हैं दौरा
क्या है खबर?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की भारत आ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी, 2026 में जेलेंस्की का भारत दौरा हो सकता है। इसे रूस और यूक्रेन के बीच भारत की संतुलन अपनाने की नीति के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले साल भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी ही नीति के तहत जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन का दौरा किया था।
रिपोर्ट
हफ्तों से बातचीत कर रहे भारतीय-यूक्रेनी अधिकारी- रिपोर्ट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और यूक्रेन के अधिकारी इस संबंध में हफ्तों से बातचीत कर रहे हैं और पुतिन के भारत आने से पहले ही ये चर्चाएं जारी हैं। अगर जेलेंस्की भारत आते हैं, तो ये पिछले 13 साल में यूक्रेन के किसी राष्ट्रपति का पहला दौरा होगा। अब तक 1992, 2002 और 2012 में यूक्रेन के राष्ट्रपति भारत आए हैं। 2012 में 9 से 12 दिसंबर तक यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच भारत आए थे।
चर्चा
किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित दौरे का समय और दायरा कई बातों पर निर्भर करेगा, जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना पर प्रगति और रूस-यूक्रेन युद्ध के अगले कदम शामिल हैं। इसके अलावा यूक्रेन की आंतरिक राजनीति भी चर्चाओं को प्रभावित कर सकती है, जहां जेलेंस्की सरकार एक बड़े भ्रष्टाचार कांड में घिरी हुई है। साथ ही यूरोप और अमेरिका में कथित मतभेद भी वार्ता का मुद्दा बन सकता है।
नीति
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या रही है भारत की नीति?
फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत पुतिन और जेलेंस्की दोनों के संपर्क में है। प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की से कम से कम 8 बार फोन पर बात की है और 4 बार व्यक्तिगत तौर पर मिले हैं। भारत लगातार कहता आया है कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र सही रास्ता है। प्रधानमंत्री मोदी कहते रहे हैं कि भारत तटस्थ नहीं है, बल्कि शांति के साथ है।
टैरिफ
युद्ध का भारत पर भी असर, अमेरिका ने टैरिफ लगाया
यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा रखा है। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसकी युद्ध मशीनरी को वित्तपोषित कर रहा है। बता दें कि युद्ध के बाद रूस भारत को सस्ता तेल बेच रहा है, जिससे आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारत का कहना है कि वो अपने राष्ट्रीय हितों को देखकर फैसला लेगा।