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मध्य प्रदेश में खांसी की दवाई से 6 बच्चों की मौत होने का मामला क्या है?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सीरप में गड़बड़ी के चलते 6 बच्चों की मौत हो गई है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मध्य प्रदेश में खांसी की दवाई से 6 बच्चों की मौत होने का मामला क्या है?

लेखन आबिद खान
Oct 01, 2025
04:39 pm

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महज 15 दिनों के भीतर 6 बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों में किडनी संबंधी परेशानियां सामने आई थीं। इसके बाद राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की एक टीम ने जांच के लिए सैंपस इकट्ठे किए हैं। बच्चों की मौत की प्रारंभिक वजह खांसी की दवाई (कफ सिरप) में गड़बड़ी बताया जा रहा है। इसके बाद कलेक्टर ने 2 कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। आइए पूरा मामला समझते हैं।

शुरुआत

कैसे हुई मामले की शुरुआत?

दरअसल, छिंदवाड़ा में इस तरह का पहला संदिग्ध मामला 22 अगस्त को सामने आया था और 4 सितंबर को पहली मौत हुई थी। उसके बाद 5 और बच्चों की मौत हुई। कुछ बच्चों का इलाज नागपुर में भी चला, लेकिन बचाया नहीं जा सका। इन सभी बच्चों को शुरुआत में बुखार और सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण थे, लेकिन धीरे-धीरे पेशाब करने में परेशानी होने लगी और किडनी फेल हो गई।

जांच

पानी और ब्लड जांच में सबकुछ आया सामान्य

मामले बढ़ने के बाद बच्चों के ब्लड सैंपल पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट भेजे गए। जांच में सामने आया कि किडनी से जुड़ा कोई इंफेक्शन नहीं है। जिन गांवों में मौत हुई, वहां के पानी के सैंपल भी लिए गए, लेकिन इसमें भी सबकुछ सामान्य आया। इसके बाद 3,500 से ज्यादा बच्चों के ब्लड सैंपल लेकर जांच की गई, ताकि मौत की वजह का पता लगाया जा सके। इनमें से भी ज्यादातर में कोई गड़बड़ी नहीं आई।

खुलासा

कफ सीरप में मिली गड़बड़ी

छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप है। इसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल नामक केमिकल की गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा, "बच्चों की मौत किसी संक्रमण या महामारी की वजह से नहीं हुई है। पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में किसी वायरस-बैक्टीरिया की पुष्टि नहीं हुई। ICMR दिल्ली और भोपाल की टीम भी जांच कर चुकी है। बॉयोप्सी रिपोर्ट में दवा से किडनी प्रभावित होने की पुष्टि हुई है।

प्रतिबंध

कलेक्टर ने 2 कफ सिरप की ब्रिकी पर लगाई रोक

कफ सीरप में गड़बड़ी के आधार पर कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस डीएस नामक सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा परिजनों, डॉक्टरों और मेडिकल संचालकों के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए गए। छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पवन नांदुलकर ने दैनिक भास्कर से कहा, "बच्चों की किडनी की बॉयोप्सी जांच में खुलासा हुआ कि कफ सीरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल दूषित पाया गया है। ज्यादातर बच्चों को इसी कॉम्बिनेशन का सिरप दिया गया था।

राजस्थान

राजस्थान में भी सामने आए इसी तरह के मामले

राजस्थान के भरतपुर और श्रीमाधोपुर में भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं। सीकर में कफ सिपर पीने से 5 साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके अलावा कई बच्चे बीमार भी हो गए थे। इसके बाद सरकार ने अस्पतालों में मुफ्त मिलने वाली दवा डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप के वितरण पर रोक लगा दी है। जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है।