'ज्विगाटो' रिव्यू: रोज दिखने वाली 'अनदेखी' दुनिया को दिखाती है कपिल शर्मा की यह फिल्म
कपिल शर्मा की फिल्म 'ज्विगाटो' की काफी समय से चर्चा हो रही थी। 'ज्विगाटो' का प्रीमियर टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। इसे बुसान फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था। 17 मार्च को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म का निर्देशन नंदिता दास ने किया है। फिल्म के ट्रेलर में कपिल का बिल्कुल नया अंदाज देखने को मिला था। इसमें उन्होंने एक डिलीवरी बॉय का किरदार निभाया है। जानिए कैसी है यह फिल्म।
डिलीवरी और रेटिंग के चक्रव्यूह में फंसा एक परिवार
फिल्म कोरोना लॉकडाउन और उससे आई आर्थिक तंगी की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म के केंद्र में निम्न मध्यम वर्ग का एक परिवार है, जिसका मुखिया (कपिल) 8 महीने तक बेरोजगार रहने के बाद एक डिलीवरी बॉय की नौकरी शुरू करता है। फिल्म इसी परिवार के आर्थिक संघर्ष की कहानी है। एक-एक डिलीवरी और एक-एक रेटिंग इस परिवार का भूगोल बदलकर रख देती है। रेटिंग और डिलीवरी के इसी चक्रव्यूह की कहानी है 'ज्विगाटो'।
वास्तविकता दिखाता है शहाना गोस्वामी का अभिनय
फिल्म में कपिल और शहाना गोस्वामी मुख्य भूमिका में हैं। शहाना ने आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार की गृहणी की भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया है। दो बच्चों की मां, बीमार सास की सेवा करती बहू या फिर पति की आर्थिक मदद के लिए काम पर जाने के असमंजस में पत्नी, हर रूप में वह खुद को असल गृहणियों से जोड़ पाई हैं। उनके पास ज्यादा संवाद नहीं हैं, लेकिन उनके दृश्यों की वास्तविकता कमाल की है।
नंदिता और कपिल की जोड़ी ने किया कमाल
डिलीवरी बॉय की झुंझलाहट, हड़बड़ाहट और घर की जिम्मेदारियां दिखाते-दिखाते कब कपिल का किरदार पर्दे से बाहर महसूस होने लगता है, पता ही नहीं चलता। उनका अभिनय बताता है कि नंदिता और कपिल की जोड़ी बेहतरीन टीचर-स्टूडेंट की भी जोड़ी है। हालांकि, दर्शकों के लिए उन्हें 'कॉमेडियन कपिल शर्मा' की छवि से अलग कर पाना मुश्किल है। कहीं-कहीं संवाद में पंजाबी टोन को अलग रखने का उनका संघर्ष भी पर्दे पर झलक जाता है।
गेस्ट अपीयरेंस में नजर आए ये कलाकार
मुख्य कलाकारों के अलावा फिल्म में स्वानंद किरकिरे, गुल पनाग और सयानी गुप्ता गेस्ट अपीयरेंस में नजर आए हैं। उनकी उपस्थिति अच्छी लगती है।
नंदिता की सोच और कल्पना ने फिल्म को बनाया वास्तविक
नंदिता के निर्देशन में जादू है। फिल्म के विषय के साथ ही दृश्यों में उनकी सोच और कल्पना, इस फिल्म को वास्तविकता के बिल्कुल नजदीक लाकर रख देती है। कितने सारे परिवार, कितनी सारी जिंदगियां अपने-अपने संघर्षों और आराम को जी रही हैं और कैसे सब एक बिंदु, यानी कि एक फूड डिलीवरी ऐप से जुड़े हैं, इसे उन्होंने बड़ी सरलता से पेश किया है। महज एक आभासी दुनिया पर कितनी जिंदगियां टिकी हैं, यह आंखें खोलने वाला है।
डिलीवरी बॉय के साथ होने वाले भेदभाव की आएगी याद
खासकर कोरोना काल के बाद डिलीवरी बॉय लोगों की जिंदगी का हिस्सा हो गए हैं। अपने जिंदगी के इन अहम लोगों को हम नोटिस भी नहीं करते, कई बार चेहरा भी नहीं देखते हैं, नंदिता आपको इन्हें नोटिस करवा रही हैं। सामाजिक असमानता के अलावा फिल्म में जातिवाद और धार्मिक आधार पर डिलीवरी बॉय के साथ होने वाले भेदभाव को भी उन्होंने फिल्म में जगह दी है। इतने सारे मुद्दे होने के बाद भी फिल्म कहीं भटकती हुई नहीं लगती।
आप खुद से पूछेंगे ये सवाल
खास बात यह है कि फिल्म गंभीर होने के बाद भी आपका दिल भारी नहीं करती, बल्कि आपको एक खुशनुमा मोड़ पर छोड़कर जाती है। बस, यह आपके भीतर अपने आसपास की दुनिया को लेकर संवेदनशीलता जगाती है। फिल्म देखने के बाद आप खुद से पूछेंगे, 'क्यों हमारे लिए खाना लाने वाला शख्स सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर आए? क्यों वह अपना खाना छोड़कर हमारा ऑर्डर लेने जाए? क्यों हम उसे अच्छी रेटिंग न दें?'
संवाद और म्यूजिक
फिल्म के संवाद बेहद सरल हैं। बिल्कुल वैसे जो हर घर में रोज इस्तेमाल होते हैं। यही इस फिल्म को दर्शकों से जोड़ने का काम करते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर हर वक्त फिल्म की भावना को आप तक पहुंचाने का काम करता है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- कपिल को नए अंदाज में देखने के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। यह एक ऐसी फिल्म है जो सीधा हम सभी से जुड़ी हुई है। क्यों न देखें?- गंभीर या सामाजिक संदेशों वाली फिल्में पसंद नहीं हैं, तो आप इस फिल्म को छोड़ सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 4/5