फिल्म 'ओह माय गॉड' के सीक्वल से क्यों नहीं जुड़े परेश रावल?
काफी समय से फिल्म 'ओह माय गॉड 2' सुर्खियों में है। इसके पहले पार्ट की दर्शकों से लेकर समीक्षकों तक ने खूब सराहना की थी। 'ओह माय गॉड 2' में भी फैंस एक बार फिर परेश रावल को देखना चाहते थे, लेकिन उनकी जगह इसमें पंकज त्रिपाठी ने ले ली। तभी से दर्शक यह जानना चाहते थे कि आखिर परेश फिल्म से बाहर क्यों हुए? अब आखिरकार इसका जवाब भी मिल गया है। आइए जानते हैं क्या जानकारी मिली है।
परेश से शुरू हो गई थी निर्माताओं की बातचीत
बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फिल्म के लिए पहली पसंद परेश रावल ही थे, लेकिन पैसों को लेकर बात नहीं बनी। रिपोर्ट में बताया गया है कि निर्माताओं ने परेश के साथ बातचीत शुरू कर दी थी। परेश ने फिल्म के लिए मोटी रकम मांगी थी। उनके मुताबिक, पिछले पार्ट में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी और फिल्म की सफलता का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। लिहाजा वह अपनी फीस के साथ समझौता नहीं करना चाहते थे।
क्या परेश ने प्रॉफिट शेयरिंग में मांगी हिस्सेदारी?
परेश को उनकी मुंहमांगी रकम देने से फिल्म का बजट गड़बड़ा रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, फीस पर सहमति नहीं बनी तो परेश ने फिल्म के प्रॉफिट शेयरिंग में हिस्सा लेने की बात की। हालांकि, उनका यह शर्त भी मंजूर नहीं हुई, क्योंकि फिल्म से पहले ही कई निर्माता जुड़े हैं। काफी विचार-विमर्श करने के बाद जब बात नहीं बनी तो परेश फिल्म से पीछे हट गए और फिर पंकज त्रिपाठी को 'ओह माय गॉड 2' में साइन किया गया।
परेश ने 'ओह माय गॉड' में अपने अभिनय से लुभाया था दर्शकों का दिल
कोई शक नहीं कि 'ओह माय गॉड' का दारोमदार परेश रावल के कंधों पर ही था। वह इस फिल्म के हीरो थे। उन्होंने इसमें कांजी भाई की भूमिका निभाई थी, जो फिल्म में भगवान के खिलाफ मुकदमा दायर करता है। कांजी भाई के रूप में किसी और को सोचना मुश्किल है। परेश ने अपनी एक्टिंग की खास शैली में कांजी भाई का रोल किया था। उनका अभिनय काबिल-ए-तारीफ था। फिल्म में अक्षय कुमार ने भगवान कृष्ण की भूमिका निभाई थी।
कुछ ऐसी थी 'ओह माय गॉड' की कहानी
2012 में रिलीज हुई 'ओह माय गॉड' एक गुजराती नाटक पर आधारित है, जिसका नाम है 'कांजी वर्सेस कांजी'। फिल्म अंग्रेजी फिल्म 'द मैन हू स्यूड गॉड' से भी प्रेरित थी। यह एक गुजराती व्यवसायी की कहानी है, जो नास्तिक होता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब वह भगवान के अस्तित्व को साबित करने के लिए दरबार में जाता है। फिल्म ने इस बात पर प्रकाश डाला कि धर्म, जाति और अन्य भेदभाव इंसान ने ही बनाए हैं।