
तमिलनाडु में हिंदी फिल्मों पर रोक लगाने वाले बिल पर बवाल, स्टालिन ने लिया ये फैसला
क्या है खबर?
तमिलनाडु में स्टालिन सरकार हिंदी भाषा के खिलाफ बिल पेश करने वाली थी। इसमें हिंदी गानों, फिल्मों और होर्डिंग्स पर रोक लगाने का प्रस्ताव था। स्टालिन के मुताबिक कि ये विधेयक संविधान के अनुरूप होगा और तमिल भाषा-संस्कृति की रक्षा करेगा। इस बाबत एक बैठक भी बुलाई गई थी। हालांकि, अब खबर है कि तमिलनाडु सरकार ने व्यापक विरोध के बाद राज्य में हिंदी के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्तावित विधेयक को स्थगित करने का फैसला किया है।
बिल
15 अक्टूबर को पेश होना था विधेयक
तमिलनाडु सरकार हिंदी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए बिल 15 अक्टूबर को विधानसभा में पेश करने वाली थी, लेकिन भारी विरोध के बाद इसं स्थगित करने का फैसला किया गया है। इसका प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा के लिए 14 अक्टूबर रात को सरकार ने विशेषज्ञों संग एक आपात बैठक की थी। DMK के नेता टीकेएस एलनगोवन ने कहा, "हम संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं करना चाहते। हम इसका पालन करेंगे। हम हिंदी को थोपने के खिलाफ हैं।"
निर्णय
विराेध के बाद विधेयक को स्थगित करने का फैसला
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार ने प्रस्तावित हिंदी विरोधी विधेयक पर रोक लगाने का फैसला किया है। येह फैसला उस विधेयक की व्यापक आलोचना के बाद आया है जिसमें राज्य में हिंदी होर्डिंग्स, बोर्ड, फिल्मों और गानों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। भाजपा नेता विनोज सेल्वम ने इस कदम को मूर्खतापूर्ण और बेतुका करार देते हुए तर्क दिया था कि भाषा का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
आरोप
केंद्र सरकार पर तमिलनाडु में हिंदी थोपने का आरोप लगाते रहे हैं स्टालिन
इस साल की शुरुआत में स्टालिन सरकार ने आधिकारिक बजट दस्तावेजों में भारतीय रुपये के प्रतीक ₹ को तमिल अक्षर से बदल दिया था। इस बदलाव को तमिल पहचान को मजबूत करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया गया था। स्टालिन केंद्र की मोदी सरकार पर तमिलनाडु में हिंदी थोपने का आरोप लगाते रहे हैं। वो कई मौके पर कह चुके हैं कि जिस तरह से तमिल पर हिंदी भाषा थोपी जा रही है, ये उसके आत्मसम्मान के खिलाफ है।
परिणाम
क्या हैं इस बिल के मायने?
हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्तावित विधेयक राजनीतिक रूप से काफी अहम है। ये भाषाई बहुलवाद के प्रति तमिलनाडु के विरोध को दर्शा रहा है। अगर ये बिल पारित हो जाता है तो यह तमिलनाडु के सांस्कृतिक परिदृश्य को नया रूप दे सकता है और शासन में तमिल पहचान और स्वायत्तता की रक्षा के DMK इसका क्रेडिट ले सकता है। तमिलनाडु में हिंदी विरोध को लेकर उठाए गए कदम की दिशा में ये एक और बड़ा कदम होगा.