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मानसिक स्वास्थ्य पर सुनील शेट्टी बोले- लड़की जैसा रोएगा, तभी मर्द बनेगा
मानसिक स्वास्थ्य पर बोले सुनील शेट्टी (तस्वीर: इंस्टाग्राम/@suniel.shetty)

मानसिक स्वास्थ्य पर सुनील शेट्टी बोले- लड़की जैसा रोएगा, तभी मर्द बनेगा

Aug 13, 2023
01:22 pm

क्या है खबर?

अभिनेता सुनील शेट्टी पर्दे पर अपने एक्शन के लिए जाने जाते हैं। एक पूरी पीढ़ी ने फिल्मों में उनके दमदार एक्शन का मजा लिया है। एक्शन के अलावा अपने रोमांटिक और मजाकिया अंदाज से भी उन्होंने दर्शकों का मनोरंजन किया। 90 के दशक में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दीं, तो कई बार असफलता का स्वाद भी चखा। अब एक कार्यक्रम में उन्होंने तनाव से गुजरने का अपना अनुभव साझा किया है।

तनाव

शुक्रवार लाता था तनाव

ई टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुनील मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित एक ऐप के लॉन्च कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और तनाव पर बात की। उन्होंने कहा, "हमारे लिए हमारे लिए यह काफी हद तक सफलता, असफलता और शुक्रवार से संबंधित है। ना सिर्फ इसलिए कि आपकी फिल्म नहीं चली, लेकिन इसलिए भी कि लोग आपको जज करते हैं, आपको असफल बताते हैं। वो कहेंगे- अरे वो सुनील शेट्टी, उसकी पिक्चर नहीं चली, वो बकवास है।"

सोच 

खुशियां आर्थिक सफलता पर निर्भर नहीं करतीं

उन्होंने आगे कहा कि ये बातें परेशान करती हैं, लेकिन राहत कि बात है कि आपके पीछे आपका परिवार होता है, जिसे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा, "ये शुक्रवार बताएगा कि मैं कैसा महसूस करूं? जब शुक्रवार अच्छे जाएं तो मैं खुश होऊं और जब खराब हों, तो मैं दुखी हो जाऊं? खुशियों का आर्थिक सफलता से कोई लेना-देना नहीं है। यह इस पर निर्भर करता है कि आपको जो पसंद है, आप वो करें।"

रोना

लड़की जैसा रोएगा, तभी मर्द बनेगा- सुनील

सुनील बॉलीवुड फिल्मों में अपने तगड़े अंदाज के लिए जाने जाते हैं, लेकिन असल जिंदगी में वह बहुत संवेदनशील हैं। जब बात परिवार या फिर किसी हादसे की हो, तो वह बहुत जल्दी रो पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि अरे क्या लड़की जैसा रो रहा है। सुनील को लगता है कि जब कोई लड़की जैसा रोएगा, तभी मर्द बनेगा। उनके अनुसार, जब आप अपनी भावनाएं जाहिर करते हैं, तो लोग आपसे जुड़ते हैं।

पिता 

पिता के आखिरी दिनों में कमजोर हो गए थे सुनील 

उन्होंने कहा, "जब मेरे पिता बीमार थे, तब मैं बहुत अकेला महसूस करता था। मुझे अचानक एहसास हुआ कि मैंने उनके साथ पर्याप्त समय नहीं बिताया है। उस वक्त मैं बहुत कमजोर महसूस करता था क्योंकि मुझे पता था कि मैं उन्हें खोने वाला हूं। हालांकि, मैं यह भी जानता हूं कि वे आखिरी कुछ दिन, मैंने उनके साथ सबसे खूबसूरत पल बिताए। जब उनका देहांत हुआ तो दुख होने के बावजूद मेरे अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा थी।"