'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' रिव्यू: नाम की तरह ही उलझी है शाहिद-कृति की फिल्म
क्या है खबर?
शाहिद कपूर और कृति सैनन की फिल्म 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में बनी हुई थी।
इस फिल्म के जरिए शाहिद और कृति की जोड़ी पहली बार पर्दे पर साथ नजर आई तो इसके गाने भी दर्शकों का रोमांच बढ़ा रहे थे।
अमित जोशी और आराधना साह के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने अब वैलेंटाइन वीक के दौरान सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है।
आइए जानते हैं कि कैसी है यह फिल्म।
कहानी
दिखी इंसान और रोबोट की प्रेम कहानी
यह कहानी रोबॉटिक्स इंजीनियर आर्यन आग्निहोत्री (शाहिद) की है, जिसका दिल सिफ्रा (कृति) पर आ जाता है, जो एक रोबोट है।
सिफ्रा को आर्यन की मौसी उर्मिला (डिंपल कपाड़िया) ने बनाया है, जिसकी सच्चाई जानने के बाद भी आर्यन प्यार के भंवर में उलझता चला जाता है।
वह टेस्टिंग के बहाने सिफ्रा को अमेरिका से भारत बुलाता है और शादी के लिए अपने परिवार से मिलाता है।
इसके बाद आगे क्या होगा ये आपको सिनेमाघरों में जाकर ही पता चलेगा।
अभिनय
शाहिद और कृति की जोड़ी का दिखा कमाल
फिल्म में शाहिद का अभिनय मंझा हुआ है तो कृति के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की लगती है। इन दोनों का उम्दा प्रदर्शन ही है, जो इसे देखने लायक बनाता है।
शाहिद का मजाकिया अंदाज बढ़िया है और उनके पास कुछ वन-लाइनर्स भी हैं, लेकिन फिर भी फिल्म में कॉमेडी की कमी खलती है।
दूसरी ओर सिफ्रा की भूमिका में कृति खूब फबती हैं। उन्होंने एक रोबोट के हावभाव, चाल और बातचीत करने के तरीके को बखूबी निभाया है।
जानकारी
सहायक किरदारों का ऐसा रहा प्रदर्शन
फिल्म धर्मेंद्र और डिंपल का प्रदर्शन बढ़िया है तो जाह्नवी कपूर कैमियो में दिखेंगी। इनके अलावा राकेश बेदी, ग्रुशा कपूर, आशीष वर्मा और राजेश कुमार जैसे सितारे अपने अभिनय से जान डालने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन कमजोर कहानी के सामने फीके पड़ते हैं।
निर्देशन
कैसे रहा निर्देशन?
फिल्म के लेखक-निर्देशक अमित और आराधना के पास एक अनोखी प्रेम कहानी को पर्दे पर लाने का यह शानदार मौका था तो उनके पास बेहतरीन सितारे भी थे, लेकिन वे अपनी कोशिश में चूक गए हैं।
कमजोर स्क्रिप्ट और पटकथा ने इस फिल्म का मजा किरकिरा कर दिया है, जिससे यह पहले भाग में खींची हुई लगती है।
अगर फिल्म के क्लाइमेक्स को छोड़ दिया जाए तो आपको ऐसा लगेगा यह सब आप ट्रेलर में देख चुके हैं।
कमी
यहां खलेगी कमी
फिल्म में दिखाया है कि सिफ्रा का प्रोग्राम इतना शानदार है कि वह इंसान के चेहरे के हाव-भाव से उसकी भावना समझ लेती है।
इतना ही नहीं, वह सारी भाषाएं बोल सकती हैं तो हर तरह का खाना बनाना जानती है, लेकिन सामान्य ज्ञान का उसे जरा भी अंदाजा नहीं है।
कई जगह सिफ्रा की हरकतें देखकर ऐसा लगता है कि ये कैसी रोबोट है?
हालांकि, इस किरदार पर कृति ने शुरू से आखिर तक अपनी पकड़ बरकरार रखी है।
कमियां
पहले भाग में नहीं आएगा मजा
'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' एक रॉम-कॉम है, लेकिन पहले भाग में कॉमेडी और रोमांस बस नाम का है।
इसमें आर्यन और सिफ्रा की मुलाकात के बाद प्यार की शुरुआत होती ही है कि आर्यन वापस अपने घर लौट आता है।
हालांकि, दूसरे भाग में आर्यन के सिफ्रा को अपने घर लाने पर रोबोट और उसके परिवार की मुलाकात मजेदार लगती है।
ऐसे में दूसरा भाग आपको हंसाएगा और इसमें रोमांस दिखेगा तो पहला भाग बोर कर सकता है।
तारीफ
क्लाइमेक्स है सबसे शानदार
यकीनन इस फिल्म में कमियां हैं, लेकिन अगर उन्हें दरकिनार कर दिया जाए तो यह एक फैमिली एंटरटेनर है, जिसे परिवार के साथ देखने में आपको मजा आएगा।
खासकर फिल्म के आखिर के 20 मिनट का क्लाइमेक्स सबसे बढ़िया है, जो इसकी कमियों को भी ढक देगा और वैसे भी रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म को बिना लॉजिक के साथ देखा जाए तो मजेदार होगा।
इसके अलावा फिल्म का संगीत तनिष्क बागची, सचिन-जिगर और मित्राज ने तैयार किया है, जो काबिल-ए-तारीफ है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- इंसान और रोबोट के बीच की ऐसी प्रेम कहानी शायद ही आपने देखी होगी। ऐसे में अगर आप कोई हल्की-फुल्की कॉमेडी और प्यार से भरपूर फिल्म देखना चाहते हैं तो इसे देख सकते हैं। खासकर, शाहिद और कृति का शानदार प्रदर्शन इसे देखने की अहम वजह है।
क्यों न देखें?- अगर आप रोमांस देखना पसंद नहीं करते हैं तो इसे छोड़ सकते हैं। फिल्म का पहला भाग थोड़ा खींचा हुआ है, जो शायद उबाऊ लगे।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5