'कान्स फिल्म फेस्टिवल' में 'मंथन' को मिलीं तालियां, जानिए क्यों खास है ये फिल्म
क्या है खबर?
'कान्स फिल्म फेस्टिवल' के 77वें संस्करण का रंगारंग आगाज हो चुका है।
बॉलीवुड के कई नामी गिरामी कलाकारों ने फेस्टिवल में शरीक होकर इसकी शोभा बढ़ाई है और देश को गौरवान्वित किया है।
अब इन सबके बीच भारत के लिए एक और गर्व का क्षण आया है। दरअसल, दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल की फिल्म 'मंथन' को फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिला है।
फिल्म की चर्चा जोरों पर हो रही है तो चलिए जानते है 'मंथन' के बारे में सबकुछ।
गर्व
'मंथन' को मिला स्टैंडिंग ओवेशन
साल 1976 में आई फिल्म 'मंथन' ने शुक्रवार को विदेशी धरती पर स्टैंडिग ओवेशन पाकर भारत का मान बढ़ाने का काम किया।
श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी इस कालजयी फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल के सैले बुनुएल में एक प्रतिष्ठित समारोह में प्रदर्शित किया गया।
यह इस साल फेस्टिवल की क्लासिक श्रेणी में चुनी जाने वाली इकलौती फिल्म है। इसके प्रदर्शन के दौरान वहां पर फिल्म में स्मिता के साथ मुख्य किरदार निभाने वाले नसीरुद्दीन शाह मौजूद थे।
खास
क्यों खास है 'मंथन'?
सालों पहले आई यह फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए बहुत खास है। दरअसल, 'मंथन' पहली भारतयी फिल्म थी, जिसे क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल करके बनाया गया था (जिसे चंदा लेकर बनाया गया था)।
जब बेनेगल ने फिल्म बनाने का विचार किया तो उन्हें निर्माता नहीं मिले। ऐसे में उन्होंने गुजरात के 5 लाख किसानों से 2-2 रुपये चंदा लेकर इस फिल्मों को बनाने के लिए पैसे इकट्ठा किए थे।
फिल्म की कहानी को बेनेगल और विजय तेंदुलकर ने मिलकर लिखा है।
कहानी
क्या है 'मंथन' की कहानी?
'मंथन', श्वेत क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉक्टर वर्गीज कुरियन के दुग्ध सहकारी आंदोलन से प्रेरित एक हिंदी फिल्म थी। यह फिल्म उनकी बायोपिक नहीं थी, लेकिन इसकी कहानी का मूल वही था।
इस फिल्म में काल्पनिक कहानी के जरिए दिखाया गया है कि कैसे भारत दूध की कमी वाले देश से उभरकर दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक में तब्दील हुआ था।
फिल्म की कहानी से लेकर इसके कलाकारों अभिनय तक की जमकर तारीफ हुई थी।
पुस्कार
2 राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी है 'मंथन'
बता दें, यह पहली बार नहीं है, जब 'मंथन' ने भारत को गौरवान्वित किया हो। इससे पहले भी यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर कमाल दिखा चुकी है। दरअसल, भारत की ओर से 'मंथन' की एंट्री ऑस्कर पुरस्कार में भी हुई थी।
इतना ही नहीं बेनेगल को 'मंथन' के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म और विजय तेंदुलकर को सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
'कान्स फिल्म फेस्टिवल' में स्टैंडिंग ओवेशन पाकर इस फिल्म ने एक बार फिर कमाल कर दिया है।