
राजकुमार राव की इस फिल्म में एंट्री पक्की, अब कानूनी मैदान में देंगे दलील
क्या है खबर?
अभिनेता राजकुमार राव ने अपने एक्टिंग करियर में कई अलग-अलग तरह की फिल्में की हैं। वह अपने हर किरदार में इतने रम जाते हैं कि फिल्म खत्म होने के बाद उनका अभिनय जहन में रह जाता है।
बहरहाल, अब खबर है कि मैडॉक फिल्म्स की उस फिल्म में उनके नाम पर मोहर लग चुकी है, जिसकी कहानी जाने-माने वकील उज्जवल निकम के इर्द-गिर्द घूमती दिखेगी।
फिल्म से जुड़ी क्या कुछ जानकारियां सामने आई हैं, आइए जानते हैं।
इिहह
राजकुमार के नाम पर लग गई मोहर
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, राजकुमार फिल्म में सरकारी वकील उज्जवल निकम की भूमिका निभाएंगे। निर्माताओं ने इस किरदार के लिए उन्हें चुन लिया है।
पहले इसका प्रस्ताव आमिर खान काे दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने इससे किनारा किया तो मैडॉक फिल्म्स के मालिक और निर्माता दिनेश विजान ने फिल्म में वकील की भूमिका के लिए राजकुमार को फाइनल किया।
फिल्म में 26/11 मुंबई हमले के बाद बतौर वकील उज्जवल निकम की भूमिका और उनके योगदान को दिखाया जाएगा।
बायोपिक
ये उज्जवल निकम की बायोपिक नहीं
कहा जा रहा था कि ये उज्जवल निकम की बायोपिक होगी। इसमें निकम का जीवन पर्दे पर उतारा जाएगा, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें उज्जवल के जीवन की कहानी को नहीं दिखाया जाएगा, बल्कि यह असल घटनाओं पर आधारित होगी।
बायोपिक के फॉर्मेट से इतर यह फिल्म भारत के इतिहास में से एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई पर केंद्रित होगी। इसका लक्ष्य 26/11 के हमलों के बाद न्याय हासिल करने की कानूनी और अदालती प्रक्रिया को दिखाना है।
निर्देशन
कौन संभाल रहा फिल्म के निर्देशन की कमान?
फिलहाल इस फिल्म का नाम तय नहीं हुआ है। हालांकि, इतना जरूर है कि निर्देशक अविनाश अरुण धावरे इसका निर्देशन कर रहे हैं, जिन्होंने 'पाताल लोक' में बतौर निर्देशक काम किया है। इसके अलावा अविनाश को 'थ्री ऑफ अस' जैसी चर्चित फिल्म के लिए भी जाना जाता है।
सुमित रॉय इस फिल्म के लेखक हैं, जो इससे पहले करण जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' और 'द एम्पायर' जैसी फिल्मों की कहानी लिख चुके हैं।
परिचय
उज्जवल निकम के बारे में भी जान लीजिए
उज्जवल निकम ने अपने करीब 30 सालों के करियर में 628 मुल्जिमों को उम्रकैद और 37 को फांसी की सजा दिलाई है।
26/11 हमले में पुलिस ने एकमात्र आतंकी हमलावार अजमल कसाब को गिरफ्तार किया था। 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी दी गई थी।
इसका मुकदमा भी उज्जवल ने ही लड़ा था। कसाब को फांसी दिला पाने में उनकी अहम भूमिका रही है। उज्जवल को साल 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।