उत्तरा बावकर इन फिल्मों और टीवी शो में आई थीं नजर, 79 की उम्र में निधन
फिल्म जगत की जानी-मानी अभिनेत्री उत्तरा बावकर का 79 साल की उम्र में निधन हो गया। रिपोर्ट्स के अनुसार वह करीब 1 साल से बीमार थीं। बुधवार को परिवार की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उत्तरा फिल्मों के साथ ही टीवी जगत की भी लोकप्रिय अभिनेत्री थीं। वह थिएटर नाटकों के लिए प्रमुख रूप से पहचानी जाती थीं। उनके निधन की खबर सुनकर फिल्म जगत के उनके साथी शोक में हैं।
चाहने वालों में शोक की लहर
उत्तरा की निधन की खबर के बाद उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त कर रहे हैं। अभिनेता मनोज जोशी ने उनकी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'उत्तरा बावकर का जाना भारतीय सिनेमा जगत की अपूर्णीय क्षति है। उनके निधन की खबर से काफी दुखी हूं।' फिल्म पत्रकार ने उत्तरा का एक पुराना इंटरव्यू साझा करते हुए लिखा कि जब उन्होंने उनको मंच पर 'उमराव जान' के रूप में देखा था तो उनसे प्यार हो गया था।
उत्तरा का अभिनय
इन नाटकों में निभाए यादगार किरदार
उत्तरा प्रमुख रूप से अपने नाटकों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से अभिनय सीखा था। यहां से वह 1968 में स्नातक करके निकली थीं। इसके बाद वह थिएटर में सक्रिय हो गईं। मंच पर उनके कुछ किरदार आज भी याद किए जाते हैं। 'मुख्यमंत्री' में पद्मावत, 'मीना गुर्जरी' में मीना, शेख्सपीयर की 'ओथेलो' में डेस्डेमोना और गिरीश कर्नाड की 'तुगलक' में मां का किरदार निभाकर उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया था।
इन चर्चित फिल्मों और टीवी शो में किया काम
उत्तरा कई चर्चित हिंदी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। हिंदी के साथ ही वह मराठी फिल्मों में भी सक्रिय रहीं। 1986 में फिल्म 'यात्रा' से उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी। 1987 में 'तमस' से उनको पहचान मिली। वह 'तक्षक', 'हमको दीवाना कर गए', 'आजा नच ले' जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। वह 'रिश्ते', 'जब लव हुआ', 'कश्मकश जिंदगी की' और 'जस्सी जैसी कोई नहीं' धारावहिक में भी नजर आई थीं।
राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी थीं उत्तरा
अपनी कला के लिए उत्तरा कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी पा चुकी थीं। 1984 में थिएटर में उनके कामों के लिए उन्हें संगीत नाटक एकैडमी पुरस्कार से नवाजा गया था। इसे भारत में परफॉर्मिंग आर्ट्स का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। 1988 में उन्हें फिल्म 'एक दिन अचानक' के लिए सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। मृणाल सेन द्वारा निर्देशित यह फिल्म 'बीज' नाम के उपन्यास पर आधारित थी।