जानिए 'मुगल-ए-आजम' के निर्देशक के आसिफ की कहानी, जिन पर फिल्म बना रहे तिग्मांशु धूलिया
क्या है खबर?
बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक और 'पान सिंह तोमर' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके तिग्मांशु धूलिया अब एक बार फिर बायोपिक बनाने जा रहे हैं। इस बार उन्होंने हिंदी सिनेमा के जाने-माने निर्माता-निर्देशक के आसिफ को चुना है।
वो निर्देशक, जिनकी अनोखी कहानी कई बार चर्चा का विषय बन चुकी है औ जिन्होंने भारतीय सिनेमा को सबसे बड़ी फिल्म 'मुगल-ए-आजम' की सौगात दी।
आइए आपको उनकी कहानी और उनके रोचक किस्सों से परिचित करवाते हैं।
बयान
सबसे पहले जानिए तिग्मांशु ने क्या कहा
हिन्दुस्तान टाइम्स से तिग्मांशु ने कहा, "मैं पिछले कुछ सालों से आसिफ के जीवन पर फिल्म बनाने की सोच रहा हूं। 'घमासान' की शूटिंग पूरी करते ही मैं उनकी बायोपिक पर जुट जाऊंगा। फिल्म में सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी से परे भी बहुत कुछ होगा।"
उन्होंने कहा, "मैं 'मुगल-ए-आजम' और आसिफ के लोकप्रिय किस्सों से बहुत आकर्षित हुआ। वह भगवान का दिया नायाब तोहफा थे। उनके जीवन में बहुत कुछ है, जिसे जल्द ही दर्शकों तक लाया जाएगा।"
शुरुआत
1945 में शुरू किया था करियर
आसिफ का जन्म 14 जून, 1922 को उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में हुआ था। 1945 में फिल्म 'फूल' से उन्होंने निर्देशन जगत में कदम रखा था और अपनी पहली ही फिल्म से उन्होंने हिंदी सिनेमा में खुद को स्थापित कर लिया था। फिल्म में उनके निर्देशन की खूब तारीफ हुई थी।
इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और वीना कुमारी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। उनकी यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बनी थी।
ऐतिहासिक फिल्म
दूसरी फिल्म 'मुगल-ए-आजम' से किया अपना नाम अमर
1960 में आसिफ ने 'मुगल-ए-आजम' बनाई तो उनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हो गया। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। उन्होंने इसे बनाया भी उसी तरह से। फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
जिस दौर में अमूमन 5 से 10 लाख रुपये में फिल्में बना करती थीं, उसी दौर में आसिफ ने इस फिल्म पर अपनी पूरी दौलत लगा दी और कर्ज में डूब गए। उन्होंने इसे बनाने में डेढ़ करोड़ रुपये लगाए थे।
मुूम
14 साल में बनकर तैयार हुई फिल्म
आप शायद अनजान हों कि 'मुगल-ए-आजम' को बनने में 14 साल लग गए थे। आसिफ कोई जल्बाजी नहीं करना चाहते थे। उन्होंने फिल्म के गाने 'प्यार किया तो डरना क्या' पर 10 लाख रुपये खर्च कर दिए थे। 105 गानें ठुकराने के बाद उन्होंने यह गाना चुना था।
फिल्म ने रिलीज के बाद जितने रिकॉर्ड बनाए, उतना ही संघर्ष आसिफ ने फिल्म बनाते समय किया। इसे बड़ा बनाने के लिए उन्होंने इसकी छोटी सी छोटी चीज पर गौर किया था।
निजी जिंदगी
आसिफ ने रचाई थीं 4 शादियां
फिल्ममेकिंग के बादशाह आसिफ ने जितनी सुर्खियां अपनी पेशेवर जिंदगी को लेकर बटोरीं, उतनी ही चर्चा में उनकी निजी जिंदगी रही। उन्होंने 4 शादियां की थीं।
आसिफ ने पहली शादी अपने घरवालों की मर्जी से की थी और ये पत्नी अपने निधन तक आसिफ के साथ रहीं। इसके बाद आसिफ ने दूसरी शादी सितारा देवी से की थी, जो एक गायिका और अभिनेत्री थीं। हालांकि, कुछ ही महीनों में ही दोनों का तलाक हो गया था।
शादियां
आसिफ की तीसरी और चौथी शादी
इसके बाद आसिफ ने सितारा की दोस्त निगार सुल्ताना से तीसरी शादी रचाई थी।
निगार भी बॉलीवुड अभिनेत्री थीं। उन्होंने मधुवाला के साथ लाेकप्रिय गीत 'तेरी महफिल में किस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे' में काम किया था। इसी दौरान आसिफ की निगार से दोस्ती हुई थी।
आसिफ ने चौथी बार दिलीप कुमार की बहन अख्तर आसिफ के साथ अपना घर बसाया था। वह अपनी इस शादी को लेकर भी काफी चर्चा में रहे थे।
जानकारी
आसिफ ने करियर में केवल 2 फिल्में बनाईं
बहुमुखी प्रतिभा और आत्मविश्वास के धनी कहे जाने वाले आसिफ ने भले ही अपने करियर में केवल 2 ही फिल्में बनाईं और बस छठवीं तक की पढ़ाई की, लेकिन उनकी बनाई फिल्म 'मुगल-ए-आजम' आज सिनेमा के छात्रों के पाठ्यक्रम का जरूरी हिस्सा बन चुकी है।
दुखद
9 मार्च, 1971 को दुनिया को अलविदा कह गए थे आसिफ
आसिफ का बचपन गरीबी में बीता था। इसी वजह से वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी किराए के मकान में गुजारी। वह हर जगह टैक्सी से ही आया-जाया करते थे। उनकी ईमानदारी की भी लोग दाद देते थे।
'मुगल-ए-आजम' के बाद उन्होंने फिल्म 'सस्ता खून', 'मंहगा पानी' और 'लव एंड गॉड' बनाने पर काम शुरू किया, लेकिन ये अधूरी रह गईं। 9 मार्च, 1971 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।