#NewsBytesExplainer: फीस न लेकर फिल्म के मुनाफे में हिस्सा क्यों ले रहे सितारे? जानिए इसका लाभ
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री है, जिसमें हर साल अलग-अलग भाषाओं में 1,500 से 2,000 तक फिल्में बनाई जाती हैं। कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल हो जाती हैं तो कुछ उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाती। ऐसे में इन दिनों सितारे अपनी फीस के बदले फिल्म के मुनाफे में हिस्सेदारी ले रहे हैं। आइए फिल्मों के मुनाफे से कैसे सितारों और निर्माताओं को फायदा होता है, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
काफी पुराना है मुनाफे में भागीदारी लेने का चलन
मालूम हो कि मुख्य अभिनेताओं के फिल्म के मुनाफे में अपनी भागीदारी लेने का यह चलन पूरी तरह से नया नहीं है। 1980 के दशक में अमिताभ बच्चन अपनी फिल्मों के लिए फीस नहीं लेकर इसी तरीके को अपनाया करते थे। दरअसल, इसका मतलब यह होता था कि उस समय भारत के 11 वितरण क्षेत्रों (जैसे कि मुंबई, पंजाब, राजस्थान अन्य) में से किसी एक से होने वाला मुनाफा फिल्म के निर्माता के बजाय अमिताभ के पास जाता था।
50 से 80 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी लेते हैं सितारे
शाहरुख खान, सलमान खान और अक्षय कुमार सहित अधिकांश सितारे फिल्म के मुनाफे में से 50 से 80 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी लेते हैं। कुछ सितारे जहां सिर्फ मुनाफे में भागीदारी लेते हैं तो कुछ साथ में फीस भी लेते हैं। आमिर खान एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जो बिना फीस के सिर्फ फिल्म से मुनाफे का हिस्सा लेते हैं। ऐसे में फिल्म हिट होने पर आमिर को पैसे मिलते हैं और फ्लॉप होने पर नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
आमिर की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' बॉक्स ऑफिस पर ढेर हो गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, वायकॉम 18 को 100 करोड़ का नुकसान झेलने पड़ा था। हालांकि, फिल्म अपने अधिकार बेचकर बजट निकालने में सफल रही थी, लेकिन आमिर ने कोई पैसा नहीं लिया था।
निर्माता को अकेले नहीं उठाना पड़ता जोखिम
आज के दौर में फिल्मों की सफलता उसमें नजर आने वाले सितारों पर निर्भर करती है। प्रशंसक सितारो के नाम को देखकर ही सिनेमाघरों में फिल्में देखने पहुंच जाते हैं। ऐसे में अब सितारे निर्माताओं के साथ प्रॉफिट शेयरिंग यानी फिल्म के मुनाफे का सौदा कर लेते हैं। एक तरह से कहे तो वह खुद ही निर्माता बन जाते हैं। इस तरह से फिल्म बनाने का जोखिम अकेले निर्माता को नहीं उठाना पड़ता और सितारे उसका हिस्सा बन जाते हैं।
क्या है इसका फायदा?
मुनाफे में अपनी हिस्सेदारी पक्की करने से न सिर्फ सितारों को लाभ मिलता है, बल्कि निर्माताओं को भी बहुत राहत मिल जाती है। सबसे पहले फिल्म के असफल होने पर निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर के साथ सितारे भी जोखिम उठाते हैं, वहीं इससे प्रोडक्शन की लागत भी कम हो जाती है। इसके अलावा अगर कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई करने में सफल रहती है तो सितारे अपनी तय फीस से भी ज्यादा पैसा उस मुनाफे से कमा लेते हैं।
फिल्म की लागत भी हो जाती है कम
मुनाफे में हिस्सेदारी यह भी सुनिश्चित करती है कि एक अभिनेता किसी परियोजना में फिल्मांकन से लेकर प्रचार तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देता है। अगर किसी भी कारण से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो नुकसान की संभावना कम हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि सितारे मुनाफे की जगह फीस लेंगे तो फिल्म की लागत बढ़ जाएगी। इसके बाद फिल्म के खराब प्रदर्शन करने पर उसका नुकसान भी उतना ही ज्यादा हो जाएगा।
ऐसे समझिए गणित
बॉलीवुड हंगामा के अनुसार, 'पठान' को 270 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था। यशराज फिल्म्स के बैनर तले बने इस फिल्म ने 333 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। फिल्म के 150 करोड़ रुपये में सैटेलाइट और डिजिटल अधिकार बिके थे, वहीं 30 करोड़ रुपये में इसके म्यूजिक राइट्स बिके थे। फिल्म के लिए शाहरुख ने फीस न लेकर इसके मुनाफे से 60 प्रतिशत का हिस्सा लिया था और ऐसे में उन्हें 200 करोड़ रुपये मिले थे।
ये सितारे हैं सूची में शामिल
ऐश्वर्या राय ने 2015 में फिल्म 'जज्बा' के साथ वापसी की थी। इसके लिए उन्होंने फीस को तवज्जो न देकर फिल्म के मुनाफे में हिस्सेदारी ली और ऐसे उन्होंने 3 करोड़ रुपये कमाए थे। इसी तरह आलिया भट्ट ने 2018 में आई फिल्म 'राजी' के लिए फीस न लेकर मुनाफे में ही अपना हिस्सा मांगा था। इसके अलावा तापसी पन्नू, रणवीर सिंह, अजय देवगन सहित कई सितारे बॉलीवुड में यही तरीका अपना रहे हैं, जिससे उन्हें लाभ हो रहा है।