डॉक्टरों ने जन्म बाद मृत घोषित कर दिया था, अब KBC में जीते लाखों रुपये
'जाको राखे साइयां मार सके ना कोय' यह कहावत 'केबीसी 11' में साढे 12 लाख रुपये जीतने वाली नुपूर सिंह के लिए सटीक बैठती है। नुपूर की कहानी आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनीं हुई है। नुपूर एक जज्बे के साथ 'कौन बनेगा करोड़पति' के मंच तक पहुंची और हॉट सीट पर बैठ कर 12 सवालों के जवाब दिए। आइये जानते हैं नुपुर की कहानी के बारे में।
पेशे से टीचर हैं नुपुर
नुपुर ने शो में बताया था कि जब उनका जन्म हुआ था तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था और उन्हें कचड़े में फेंक दिया गया था। जन्म के समय से ही वह दिव्यांग हैं। उनके शरीर का दायां हिस्सा पैरालाइज है। नुपुर पेशे से टीचर हैं और घर पर बच्चों को पढ़ाती हैं। इन सबके बावजूद नुपूर 'केबीसी 11' में साढ़े 12 लाख रुपये जीतने में कामयाब रहीं। नुपूर, उन्नाव के उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं।
बाएं हाथ से टाइप करने की वजह से फास्टेस्ट फिंगर राउंड क्लियर करना था मुश्किल
इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में नुपूर ने बताया, "मैंने पूरे हफ्ते हॉट सीट के लिए कड़ी मेहनत की चूंकि मैं बांए हाथ से टाइप करती हूं ऐसे में मेरे लिए फास्टेस्ट फिंगर राउंड को क्लियर करना कठिन था। आखिरी मौके में, अकेली मैं थी जिसने सही जवाब दिया था।" उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ था कि वह हॉट सीट पर बिग बी के सामने थी।
मैं हमेशा से थी केबीसी फैन- नुपूर
जब नुपूर से पूछा गया कि आपको किस चीज ने ज्यादा खुशी दी हॉट सीट पर बैठना या एक बड़ी राशि जीतना तो नुपूर ने कहा, "यकीनन हॉट सीट तक पहुंचना। मुझे पता था कि अगर मैं हॉट सीट तक पहुंच जाऊंगी तो मेरा ज्ञान मुझे गेम में मदद करेगा।" नुपूर ने कहा, "मैं केबीसी फैन रही हूंं लेकिन मैंने ऑडीशन नहीं दिया क्योंकि मुझे लगता था कि अपनी स्पीड की वजह से मैं शो में आगे नहीं बढ़ पाऊंगी।"
केबीसी की टीम ने किया था प्रोत्साहित- नुपूर
नुपूर ने कहा, "इस बार मैं अडिग थी और जब मैं सेलेक्ट हो गई तो मैंने कई ऐप्स के जरिए फास्टेस्ट फिंगर राउंड की प्रैक्टिस की। जब मैं सेट पर पहुंची तो केबीसी की टीम ने भी मुझे काफी प्रोत्साहित किया।"
लोगों से सम्मान मिलना खुशी की बात- नुपूर
नुपूर ने शो के बाद मिल रही लोगों की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए बताया, "ईनाम की राशि से ज्यादा मुझे इस बात की खुशी है कि मैं लोगों का सम्मान जीत सकी। मैंने हमेशा इस चीज को बनाए रखा है कि मुझे सहानुभूति नहीं चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "मैंने हमेशा सम्मान चाहा है और जब लोग मुझे सम्मान दे रहे हैं तो मुझे इस बात की खुशी है।"
बाहरवीं में मेरिट में आई थी नुपूर
वहीं, नुपूर की मां कल्पना सिंह का कहना है, "नुपूर, दिव्यांग होनेे के बाद भी हमेशा से एक अच्छी छात्र रही है। बारहवीं में वह मेरिट लिस्ट में आई थी। उसने बीएड में भी एंट्रेस में अच्छे अंक हासिल कर एडमीशन लिया था।"