'हंगामा 2' रिव्यू: कॉमेडी के नाम पर मजाक है यह फिल्म
पिछले काफी समय से दर्शकों को फिल्म 'हंगामा 2' का इंतजार था, जो आखिरकार 23 जुलाई को खत्म हो गया। फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। प्रियदर्शन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शिल्पा शेट्टी, परेश रावल, आशुतोष राणा, मीजान जाफरी और प्रणीता सुभाष ने मुख्य भूमिका निभाई है। यह फिल्म प्रियदर्शन की 2003 में रिलीज हुई फिल्म 'हंगामा' का सीक्वल है। इस फिल्म के निर्माता हैं रतन जैन। फिल्म देखने से पहले पढ़िए इसका रिव्यू।
दो ट्रैक के साथ आगे बढ़ती है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है आशुतोष राणा (कपूर) के साथ, जो अपने बेटे मीजान जाफरी (आकाश) का घर टूटता देख परेशान है, लेकिन बेटा बेफिक्र है। प्रणीता सुभाष (वाणी) नन्हीं बच्ची के साथ उसके घर आ धमकती है। उसका दावा है कि आकाश इस बच्ची का पिता हैै। दूसरा ट्रैक है वकील राधे तिवारी (परेश रावल) और उसकी पत्नी अंजली (शिल्पा शेट्टी) का। राधे एक शक्की पति है, जिसे आकाश और अंजली के बीच अफेयर का शक है।
कहानी में कितना दम?
'हंगामा 2' देख लगता है जैसे प्रियदर्शन ने अपनी हिट फिल्म 'हंगामा' के साथ छेड़डाड़ कर गलती कर दी। शुरुआत से ही फिल्म काफी सुस्त नजर आ रही है। कहानी आखिरी तक सपाट चलती है। हंगामा तो है, लेकिन इसमें गलतफहमी के सिवा कुछ नहीं दिख रहा है। फिल्म देखते हुए दिमाग में केवल यही ख्याल आता है कि आखिर प्रियदर्शन ने इतनी पकाऊ कहानी क्या सोचकर बनाई? ऐसा लगता है मानों नई पैकिंग में पुराना माल परोसा गया हो।
नहीं जमा शिल्पा शेट्टी का रंग
शिल्पा शेट्टी को लेकर खूब हो-हल्ला हुआ था और होता भी क्यों ना, 'हंगामा 2' से उनकी बड़े पर्दे पर वापसी जो हुई, लेकिन शिल्पा भी फिल्म में कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। वह फिल्म का सबसे बड़ा चहेरा थीं, लेकिन उनके दृश्य सीमित रखे गए। लिहाजा प्रशंसकों के रंग में भंग पड़ गया। दूसरी तरफ परेश के साथ उनकी जोड़ी भी नहीं जमी। फिल्म में बेशक शिल्पा ग्लैमरस लगी हैं, लेकिन इसका उनकी अदाकारी से कोई लेना-देना नहीं।
अन्य कलाकारों का अभिनय
फिल्मों में कलाकारों ने जो अभिनय किया है, वो एक्टिंग कम ओवरएक्टिंग ज्यादा लग रही है। फिल्म में गलतफहमी और असमंजस पैदा कर हृयूमर पैदा करने की कोशिश तो की गई, लेकिन परेश रावल जैसे इक्का-दुक्का कलाकारों को छोड़ किसी का भी अभिनय उम्दा नहीं है। अक्षय खन्ना भले ही मेहमान भूमिका में दिखे, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका से विशेष छाप छोड़ी। टीकू तलसानिया, मनोज जोशी और राजपाल यादव का फिल्म में होना या ना होना बराबर ही था।
निर्देशन की कसौटी पर खरे नहीं उतरे प्रियदर्शन
कोई शक नहीं कि प्रियदर्शन एक बेहतरीन निर्देशक हैं और उन्होंने इससे पहले 'दे दना दन' से लेकर 'हेरा फेरी' और 'हलचल' जैसी बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों से दर्शकों को लोटपोट किया है, लेकिन वह 'हंगामा 2' से दर्शकों के बीच अपना जादू नहीं चला पाए। फिल्म की स्टोरीलाइन में कॉमेडी कम कंफ्यूजन ज्यादा रहा। क्लाइमैक्स भी कमजोर है। प्रियदर्शन ने कॉमेडी दृश्यों को भुनाने का प्रयास तो किया, लेकिन हंसी लाने की असफल कोशिशों के बाद फिल्म खत्म हो गई।
कैसा है फिल्म का संगीत?
'हंगामा' की कहानी के साथ-साथ इसका संगीत भी सुपरहिट हुआ था, लेकिन इस बार फिल्म के संगीत ने भी दर्शकों को निराश ही किया है। अनु मलिक ने 'हंगामा 2' का संगीत दिया है, जो कि साधारण से भी गया-गुजरा है। 90 के दशक के सुपरहिट गाने 'चुरा के दिल मेरा' का रीमेक वर्जन फिल्म में इस्तेमाल किया गया है, जिसने असल गाने की हत्या कर दी है। कुल मिलाकर फिल्म का संगीत दिल जीतने में नाकाम रहा।
देखें या ना देखें?
अगर कॉमेडी के नाम पर मजाक आपके गले से उतर सकता है तो आप 'हंगामा 2' देखने का रिस्क ले सकते हैं। हकीकत यह है कि फिल्म में देखने लायक कुछ है नहीं। यह प्रियदर्शन की पुरानी फिल्मों की तरह ही है। फिल्म की बेसिर-पैर की कॉमेडी आपको हंसने से ज्यादा रुलाएगी। फिल्म में ऐसे कम ही मौके हैं, जब आप 10 मिनट तक इसमें रुचि रख सकें, इसलिए हमारी तरफ से 'हंगामा 2' को डेढ़ स्टार।