भारतीय रंगमंच के हीरो हबीब तनवीर के चर्चित नाटक पर बनेगी फिल्म, जानिए उनके बारे में
हर साल बॉलीवुड में न जाने कितनी फिल्में रिलीज होती हैं। दर्शको को अच्छी कहानियो से रूबरू कराने की कोशिश में फिल्मकार आए दिन नए-नए प्रयोग करते हैं। नाटकों और उपन्यासों पर फिल्म बनने का चलन इंडस्ट्री में शुरू से रहा है। अब प्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर की 100वीं जयंती के मौके पर एक नई फीचर फिल्म की घोषणा हुई है, जो उनके लोकप्रिय नाटक 'चरणदास चोर' पर आधारित होगी। आइए आपको हबीब साहब के बारे में बताते हैं।
सबसे पहले जानिए हबीब पर कौन बना रहा फिल्म
फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने ट्वीट किया, 'रिलायंस एंटरटेनमेंट, सोनी पिक्चर्स, जी स्टूडियोज, पेन स्टूडियोज और UTV से जुड़े रहे जाने-माने डिस्ट्रीब्यूटर और कार्मिक फिल्म्स के सह-संस्थापक सुनील वाधवा अब निर्माता बनने जा रहे हैं।' तरण ने बताया कि सुनील ने हबीब के लोकप्रिय नाटक 'चरणदास चोर' को फीचर फिल्म के रूप में पेश करने के राइट्स ले लिए हैं। इसके प्री-प्रोडक्शन का काम शुरू हो गया है। जल्द ही फिल्म के हीरो और निर्देशक का ऐलान होगा।
दुनियाभर में रोशन किया छत्तीसगढ़ का नाम
रंगमंच की दुनिया में हबीब तनवीर का नाम बड़े अदब से लिया जाता है। उनका जन्म रायपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ, जिन्होंने यहां की मिट्टी की खुशबू न सिर्फ देश, बल्कि दुनियाभर में पहुंचाई। अपनी खास नाट्य शैली के लिए लोकप्रिय हबीब ने स्कूली शिक्षा रायपुर से ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से MA किया। इसके बाद बचपन से कला के प्रति आकर्षित रहने वाले हबीब साहब ने खुद को पूरी तरह से रंगमंच यानी थिएटर के लिए समर्पित कर दिया।
हिंदुस्तान थिएटर के साथ मिलकर किया काम
हबीब साहब ने ऐसी-ऐसी कहानियां लिखीं, जिनका असर लंबे समय तक रहा। अपने नाटकों के जरिए उन्होंने सीधी-सादी कहानियों को ऐसे अंदाज में कहा कि थिएटर की शक्ल ही बदल दी। भारतीय रंगमंच के मानचित्र पर वह ऐसी जगह पर विराजमान रहे, जहां कोई उनकी बराबरी नहीं कर पाया। 1954 में हबीब साहब अभिनय की बारीकियां सीखने लंदन गए, जहां उन्होंने निर्देशन भी सीखा। भारत लौटने के बाद उन्होंने हिन्दुस्तान थिएटर के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया।
'चरणदास चोर' बना एडिनबर्ग में सम्मान पाने वाला पहला भारतीय नाटक
हबीब साहब ने छत्तीसगढ़ में अपना थिएटर ग्रुप बनाया, जिससे लोक कलाकार जुड़ने लगे और दिलचस्प बात ये है कि इन लोक कलाकारों को महीने की तन्ख्वाह भी दी जाती थी। हबीब जितने अच्छे अभिनेता, निर्देशक व नाट्य लेखक थे, उतने ही बेहतरीन गीतकार, गायक, संगीतकार और कवि भी थे। 1969 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1983 में उन्हें पद्मश्री मिला। उनका नाटक 'चरणदास चोर' एडिनबर्ग में सम्मानित होने वाला पहला भारतीय नाटक था।
न्यूजबाइट्स प्लस
बॉलीवुड में ब्रिटिश नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटकों से अब तक सबसे ज्यादा फिल्में बनी हैं। फिल्म 'अंगूर' शेक्सपियर के नाटक 'द कॉमेडी ऑफ एरर्स' पर आधारित थी। 'कयामत से कयामत तक', 'मकबूल', 'ओमकारा', 'इशकजादे' और 'हैदर' भी शेक्सपियर के नाटकों से ही प्रेरित थीं।