क्या आप जानते हैं? हॉलीवुड फिल्म 'स्पाइडर मैन' में अपनी आवाज दे चुके हैं रवि किशन
क्या है खबर?
रवि किशन ने अपने दमदार अभिनय के बलबूते दर्शकों के बीच अपनी एक खास पहचान बनाई है। वह कई भोजपुरी और हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके हैं।
तेलुगु फिल्मों में भी आपने उन्हें अभिनय करते देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि रवि हॉलीवुड फिल्म 'स्पाइडर मैन 3' का हिस्सा रहे हैं और इसमें अपनी आवाज दे चुके हैं। दरअसल, उन्होंने इसके लिए डबिंग की थी।
आइए पूरी खबर जानते हैं।
फिल्म
पहली बार किसी फिल्म के लिए की थी डबिंग
रवि ने 'स्पाइडर मैन 3' में स्पाइडर मैन बने टोबी मैगुरे को भोजपुरी में आवाज दी थी। भोजपुरी में डब होने वाली यह पहली हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म थी।
यह पहली बार था, जब रवि ने किसी और अभिनेता के लिए डबिंग की थी।
उनके डायलॉग्स को सिर्फ भोजपुरी ही नहीं, बल्कि देशभर के दर्शकों ने पसंद किया था। जैसे "हम मकड़ मानव हैं, उड़ के आइब तोर टेटुवा दबा देब (मैं स्पाइडरमैन हूं, उड़के आऊंगा और तुम्हारा गला दबा दूंगा)।"
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
अमेरिकी सुपरहीरो फिल्म 'स्पाइडर मैन 3', 2007 में रिलीज हुई थी। सैम रैमी ने इसका निर्देशन किया था और उन्होंने ही इसकी कहानी लिखी थी। फिल्म में टोबी मैगुरे के अलावा किर्स्टन डंस्ट और टॉपर ग्रेस अहम भूमिका में दिखे थे। फिल्म सुपर-डुपरहिट हुई थी।
धमाका
...जब रवि बने भोजुपरी स्टार
रवि ने उस दौर में भोजपुरी फिल्मों में काम किया, जब उनका करियर हिंदी फिल्मों में लगभग खत्म होता जा रहा था।
लगातार असफलता का सामना कर रहे रवि ने भोजपुरी फिल्म 'सईंया हमार' साइन की और यह फिल्म जबरदस्त हिट साबित हुई। लिहाजा रवि भोजपुरी स्टार के रूप में स्थापित हो गए।
इसके बाद भोजपुरी फिल्मों का सिलसिला यूं ही जारी रहा। जो प्रसिद्धि उन्हें हिंदी फिल्मों में नहीं मिली, वो रातों-रात उन्हें भोजपुरी सिनेमा ने दिलाई।
धाक
भोजपुरी सिनेमा में शुरुआत करने के बाद बॉलीवुड में दिखाया दमखम
रवि को तब और ज्यादा प्रशंसा मिली, जब वह 'बिग बॉस' के घर में पहुंचे और रनर अप रहे। इस शो ने भी रवि को एक अलग पहचान दिलाई।
फिल्म 'लक' में निभाए मनोरोगी का किरदार हो या फिर फिल्म 'एजेंट विनोद' में 'रॉ एजेंट' की छोटी सी भूमिका, रवि ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी।
फिल्म 'तेरे नाम' में उनके किरदार पंडित रामेसार को काफी पसंद किया गया था। उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
संघर्ष
गरीबी में गुजरा रवि का बचपन
रवि का बचपन गरीबी में गुजरा। उनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला पुजारी थे। रवि के पिता उन्हें पढ़ा-लिखाकर अपनी तरह पुजारी बनाना चाहते थे, लेकिन रवि को यह पसंद नहीं था।
वह बॉलीवुड एकटर बनना चाहते थे। एक समय ऐसा भी आया कि वह घर से भागकर सपनों की नगरी मुंबई चले गए।
यहां से उनके संघर्ष का सिलसिला काफी लंबा चला था। अच्छा किरदार पाने के लिए वह सालों साल मुंबई की सड़कों पर भटकते रहे।